- सरकारी स्कूल्स में ऑनलाइन सिस्टम से पढ़ाई की योजना नहीं चढ़ पाई परवान

- शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडे का सुझाव, गांव तक पहुंचा सकते हैं एनसीईआरटी बुक्स

DEHRADUN: उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों मे ऑनलाइन पढ़ाई का सिस्टम लड़खड़ाने लगा है। ऐसे में शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडेय ने अधिकारियों को पहाड़ों में एनसीईआरटी बुक्स को पहुंचाने का सुझाव दिया है। जिससे बच्चों तक बुक्स पहुंच सकें, बच्चे घर में पढ़ाई कैसे करेंगे, इसके लिए अभी सरकारी सिस्टम के पास कोई प्लान नहीं है। हालांकि तब तक दूरदर्शन से क्लास भी चलाने का दावा किया जा रहा है।

बाजार बंद कहां से आएंगी बुक्स

पहाड़ी प्रदेश में व्हाट्सएप और ऑनलाइन तरीके से स्टूडेंट्स की पढ़ाई का प्लान फेल नजर आने लगा है। नेटवर्क की समस्या के साथ ही सबसे बड़ी समस्या सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के पास मोबाइल या लैपटॉप न होना है। ऐसे में शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडेय ने एक और सुझाव अधिकारियों को दिया है। अर¨वद पांडेय ने अधिकारियों को गांवों में पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से एनसीईआरटी बुक्स पहुंचाने की बात कही है। हालांकि इस सुझाव पर पहले ही सवाल खड़े होने लगे हैं। पहली बात तो एनसीईआरटी की बुक्स कहां से लाएंगे, जब न दुकानें खुली हैं और न ही कोई उद्योग चल रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के लिए बुक्स की व्यवस्था कर पाना सबसे बड़ा चैलेंज है। इसके बाद अगर बुक्स की व्यवस्था होती है तो इन बुक्स को गांवों तक कौन और कैसे पहुंचाएगा। इससे भी बड़ी समस्या बुक्स की उपलब्धता की है। पिछले सत्र में ही एनसीईआरटी बुक्स को लेकर बाजार में मारामारी देखने को मिली थी, तो इस बार लॉकडाउन की वजह से पहले ही मार्केट में बुक्स नहीं है। तो फिर इन बुक्स की डिमांड को कैसे पूरा करेंगे।

दूरदर्शन पर क्लासेज

बुक्स मिलने के बाद स्टूडेंट्स के सामने बुक्स का सिलेबस और पढ़ाई करने का चैलेंज होगा। शिक्षा मंत्री ने दूरदर्शन से क्लास चलाने की बात कही है। लेकिन दूरदर्शन से किस समय कब और कहां बच्चे पढ़ेंगे। ये भी बड़ा सवाल है। पहाड़ों में कई ऐसे गांव हैं जहां बिजली की आपूíत नहीं है। ऐसे में टीवी तो दूर की बात है। इस तरह से प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर लॉकडाउन के दौरान असर पड़ना तय है।

सरकारी सिस्टम से सवाल

- एनसीईआरटी की बुक्स कैसे, कब और कहां मिलेंगी।

- जब पिछली बार ही बुक्स की आपूíत सही तरीके से नहीं हुई तो इस बार बुक्स कहां से उपलब्ध होंगी।

- दूरदर्शन से कैसे पढ़ाई होगी, जब पहाड़ों में लाइट ही नहीं रहती है।

प्राइवेट स्कूलों को राहत

शिक्षा मंत्री अर¨वद पांडेय ने प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों को जरूर राहत दी है। शिक्षा मंत्री ने प्राइवेट स्कूलों के उस सुझाव को मानते हुए पेरेंट्स से अपील की है कि जो पेरेंट्स सक्षम हैं, वे फीस भर सकते हैं। बशर्ते स्कूल पेरेंट्स पर फीस के लिए दबाव न बनाए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने भी दून के प्राइवेट स्कूलों की समस्या को प्रमुखता से उठाया था। जिसमें निजी स्कूलों के खर्चे और स्टाफ, कर्मचारियों के वेतन को लेकर आ रही परेशानियों की समस्या को उठाया था।

Posted By: Inextlive