RANCHI: कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं इस बीमारी से लड़ाई जारी है। अबतक इस बीमारी की न कोई दवा आई है और न ही कोई वैक्सीन। ऐसे में क्लिनिकल रिसर्च यूनिट फॉर होमियोपैथी ने कोरोना पर रिसर्च करने की योजना बनाई है। इसके तहत इफेक्टेड एरिया के लोगों को आर्सेनिक एल्ब 30 का डोज दिया जाएगा। वहीं, उस व्यक्ति पर नजर रखी जाएगी। दवा के डोज के दौरान उसमें कोरोना के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं तो इसे रिसर्च के लिए शामिल कर लिया जाएगा। बताते चलें कि होमियोपैथी सोसायटी ने कोरोना इफेक्टेड एरिया में लोगों को आर्सेनिक एल्ब 30 का फ्री डोज देने की योजना बनाई है।

दवा खाने से पहले सहमति

वायरस के अटैक से बचाव के लिए दी जाने वाली दवा आर्सेनिक एल्ब 30 लेने से पहले लोगों को ऑफलाइन कंसेंट (सहमति) फार्म भरना होगा, जिसमें बताना होगा कि वे दवा खाने के लिए तैयार हैं और रिसर्च में भी मदद करेंगे। इसके अलावा वैसे लोग जो आर्सेनिक एल्ब 30 खा चुके हैं वे इ-संजीवनी वेबसाइट से भी अपनी सहमति दे सकते हैं। ऑनलाइन उन्हें बताना होगा कि उन्होंने दवा कब ली है, जिससे की रिसर्च के लिए एक पक्का आंकड़ा यूनिट के पास होगा। वहीं स्क्रीनिंग के लिए वे हमेशा मौजूद रहेंगे।

14 दिन में 6 बार स्क्रीनिंग

डोर टू डोर अभियान के तहत लोगों को दवा खिलाई जाएगी। इसके बाद व्यक्ति की 14 दिन मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए उस व्यक्ति को स्क्रीनिंग के लिए आने वाली टीम के सामने मौजूद रहना होगा। साथ ही यह भी जांच की जाएगी कि दवा खाने वाले को किसी तरह कोरोना का लक्षण दिख रहा है या नहीं। वहीं दवा के डोज के दौरान 6 बार व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जाएगी, जिससे कि कोरोना पर रिसर्च करने में मदद मिलेगी। यह दवा कोरोना वॉरियर्स, सब्जी विक्रेता, माइग्रेंट वर्कर्स, ग्रोसरी दुकानदार व डोर टू डोर जाकर सहमति से खिलाई जाएगी। चूंकि ये लोग दिनभर में कई लोगों के डायरेक्ट कांटैक्ट में आते हैं, जिन्हें इन्फेक्शन होने की ज्यादा संभावना होती है।

हमलोगों ने रिसर्च को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। यह दवा इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए होती है। हमलोगों ने सरकार से पहले मांग की थी कि हमें परमिशन दे, जिससे कि हमलोग काम कर सकें। इसमें पब्लिक के सपोर्ट की जरूरत है। उनके बिना हम रिसर्च नहीं कर सकते। 14 दिन उन्हें अपनी जगह पर मौजूद रहना होगा ताकि हम रिपोर्ट ले सकें। स्क्रीनिंग से पता चल जाएगा कि अगर कोई लक्षण इफेक्टेड एरिया में नहीं मिलता है तो फिर रिसर्च पर हम आगे का काम करेंगे।

-डॉ सुनील कुमार, ऑफिसर इंचार्ज, क्लिनिकल रिसर्च यूनिट फॉर होमियोपैथी

Posted By: Inextlive