PATNA: राज्य में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा है लेकिन जब इसकी बिक्री पर पाबंदी लगेगी तो लोग नशे के लिए क्या करेंगे? जाहिर है ऐसे लोगों का रूझान जिस ओर होगा उस ओर सरकार की पैनी नजर है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ड्रग डिपार्टमेंट और एक्साइज डिपार्टमेंट टीम बनाकर पटना और अन्य जिलों में छापेमारी की जा रही है. हालांकि रविवार को छापेमारी नहीं थी. लेकिन आई नेक्स्ट को एक ऐसी जानकारी मिली है जिसमें इस बात का खुलासा किया गया है कि इसमें सिर्फ होमियो दवा दुकानों ही नहीं उन कंपनियों पर भी एफआईआर की गई है जो स्प्रीट के सप्लायर हैं. यह मामला सीधे एक्साइज से संबंधित है. इसलिए इसमें एक्साइज के अधिकारी गंभीरता से छानबीन कर रहे हैं.

 

 

 

होमियोपैथिक दुकानों पर छापेमारी क्यों?

ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट की ओर से एक वरीय अधिकारी ने कहा कि अभी दो मामले एक साथ हैं। एक तो होमियोपैथी दवा की आड़ में नियमों को दरकिनार करना और तय मात्रा से अधिक स्प्रीट रखना। दूसरी ओर, शराबबंदी की तैयारी को देखते हुए यदि किसी दूसरे माध्यम से ऐसे किसी भी नारकोटिक या साइकोट्रॉपिक ड्रग जिसका इस्तेमाल नशे के लिए किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे दवाओं की लिस्ट तैयार की गई है और इसकी बिक्री पर पैनी रखी जा रही है।

 

ये दवाएं हैं शक के दायरे में 

यूं तो कई ऐसी दवाएं हैं, जिनमें अल्कोहल की मात्रा होती है और वे दर्द से निजात पाने, मानसिक रोगियों का इलाज करने व ऐसे ही थेरेपेटिक इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन इसका कई मायनों में दुरूपयोग की संभावना होती है। डाइजीपाम, अलप्राजोलम, लोराजीपाम, क्लोनाजीपाम, फेंसाडीन, कोरेक्स, कोडीन सिरप- ये सभी शेड्यूल 'एचÓ के साथ-साथ नारकोटिक्स, साइकोट्रॉपिक ड्रग में आते हैं। ऐसे ही कई दवाएं हैं, जिनका नशे के लिए दुरूपयोग किया जा सकता है. 

 

जांच की जाएगी जŽत स्प्रीट की 

सŽजीबाग स्थित इकोनॉमी होमियो व अन्य दुकानों पर चार और पांच फरवरी को की गई छापेमारी अभियान में अब तक तीन गोदामों को सील किया गया है। इसमें १२ लाख से अधिक कीमत की स्प्रीट, जो विभिन्न दवाओं के सैंपल के साथ रखे गए हैं, की जांच जाएगी। इसकी जानकारी देते हुए एक्साइज डिपार्टमेंट में दारोगा अजित ने बताया कि  इसकी जांच के लिए सोमवार को इसे संबंधित लैब में भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्प्रीट का दवा के अलावा अन्य गैर-कानूनी इस्तेमाल को लेकर विभाग सतर्क है। बताया कि इसकी मात्रा कौन कितना रख सकते हैं, यह उसके लिए जारी लाइसेंस पर निर्भर करता है. 

 

बैठक के बाद टीम गठित 

मालूम हो कि तीन फरवरी को एक हाई लेबल मीटिंग हुई थी, जिसमें एक्साइज डिपार्टमेंट, ड्रग कंट्रोलर, स्वास्थ्य विभाग व अन्य संबंधित एजेंसियां शामिल थीं। इसमें निर्णय लिया गया कि नशी ली दवाओं जिनका मेडिकल यूज होता है, के गलत इस्तेमाल को रोकना है। इस बाबत ड्रग कंट्रोलर और एक्साइज डिपार्टमेंट की संयुक्त टीम गठित की गई. 

 

कहां से आ रही स्प्रीट 

छापेमारी में जŽत स्प्रीट कोलकाता, हैदराबाद, मैंगलोर, फरीदाबाद, हरिद्वार, भोपाल सहित अन्य कई जगहों पर बन रही लेबोरेट्री से सप्लाई की गई थी। अधिकांश कोलकाता में बनी लैब की दवा शामिल हैं। छापेमारी में औषधि एंव अंगराग अधिनियम १९४० की धारा १०६ बी के तहत कई ऐसी दवाएं जŽत की गई थी, जिसका निर्माण वर्जित औषधि के रूप मे क्लासीफाई किया जाता है। इस संबंध में संबंधित लैब कंपनियों और दुकान के संचालक दोनों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इसकी कीमत १२ लाख से अधिक है।  बार-बार कहा जा रहा है होमियोपैथिक दवा दुकानों में ड्रग कंट्रोलर को छापेमारी का अधिकार नहीं है। इसमें होमियोपैथी एक्सपर्ट की टीम बनाकर ही छापेमारी की जानी चाहिए। लेकिन इस बारे में ड्रग इंस्पेक्टर सच्चिदानंद विक्रांत ने कहा कि औषधि एवं अंगराग अधिनियम १९४० की धारा २२ के तहत ड्रग इंस्पेक्टर को यह प्राधिकार प्राप्त है। जानकारी हो कि छापेमारी से कुछ दिनों पहले आरा में १२ लोगों की मौत हो गई थी। इसमें शक जताया गया कि इसमें एक मात्रा से अधिक नशा लेने के कारण मौत हुई थी। इसके बाद आरा में डेढ़ करोड़ रुपए की स्प्रीट पकड़े जाने से यह बात और पुख्ता हो गई।

 

छापेमारी में हमले 

पटना में जीएम रोड स्थित सावित्री फार्मा मामले में डीआई का विरोध, फिर पूर्णियां में पुलिस बल पर पथराव किया गया। इससे पहले जमुई में डीआई पर हमला किया गया।

Posted By: Inextlive