ALLAHABAD: होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में बहरेपन का इलाज संभव है। जबकि आधुनिक चिकित्सा में मात्र हियरिंग एड की सलाह दी जाती है या गूंगे बहरे बच्चों को कोचियर इम्प्लांट की सलाह दी जाती है। यह बात सुप्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ। बीबी मिश्रा ने कही। वह पिछले दिनों रुड़की में आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा में अधिकांश बधिरों की श्रवण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।

उत्कृष्ट योगदान के लिए हुए सम्मानित

होम्योपैथिक चिकित्सा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उप्र राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रविंद्र सिंह ने डॉ। बीबी मिश्रा को लीजेंड आफ इलाहाबाद अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बहुत सारे बच्चे जन्म से गूंगे-बहरे होते हैं और ऐसे बच्चों के लिए होम्योपैथिक में ऐसी दवाएं हैं जिनके प्रयोग से पूर्ण से बहरे बच्चों को सुनने में क्षमता लाई जा सकती है।

कैसे होता है बहरापन

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगों में अवरोध पैदा हो जाता है तो बहरापन आ जाएगा। बहरापन दो प्रकार का होता है। कंडेक्टिव बहरापन व सैंसरी। किसी गंभीर बीमारी हो जाने, चोट लग जाने कारण या किसी दवा के दुष्प्रभाव से बहरापन होता है। कान का बहना, दिमाग या गले की बीमारी, लकवा, टायफाइड, मलेरिया, जुकाम का बार-बार होना आदि बहरेपन का कारण है। होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा सामान्य श्रवण शक्ति बहाल की जा सकती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें जन्म से ही पूर्ण रूप से सुनने की क्षमता का अभाव होता है। इनका इलाज भी संभव है।

Posted By: Inextlive