- गैंगरीन से नहीं काटना पड़ेगा पैर, होम्योपैथी की गोलियों से ठीक होगी समस्या

- होम्योपैथी से कई बीमारियों का सटीक इलाज

- जोड़ों, पेट, मानसिक और महिलाओं को होम्योपैथी में बेहतर इलाज

- विश्व होम्योपैथी दिवस पर बोले डॉक्टर, लखनऊ में बनेगी होम्योपैथी की टेस्टिंग लैब

LUCKNOW: डायबिटीज के कारण पैर में घाव या गैंगरीन होने पर अब पैर नहीं काटना पड़ेगा। होम्योपैथी की गोलिया खाइये और कुछ ही दिनों में घाव भर जाएंगे। विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर रिसर्च सोसाइटी ऑफ होम्योपैथी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में डॉ। पंकज अग्रवाल ने दी। उन्होंने होम्योपैथी दवाओं से ऐसे कई मरीजों को ठीक कर दिया जिनके पैर काटने की सलाह दी गई थी।

डायबिटीज मरीजों में जगी उम्मीद

नई दिल्ली से आए डॉ। पंकज अग्रवाल ने बताया कि डायबिटीज के कारण पैरों में घाव हो जाते हैं। ऐसे मरीजों में पैरों में सुन्नपन की समस्या होती है। उनके पैरों में घाव हो जाते हैं और गैंगरीन की समस्या हो जाती है। एलोपैथी में अब तक इस समस्या से निपटने के लिए संबंधित अंग को काटना ही पड़ता है। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं, जिनसे यह घाव भर जाते हैं। इन दवाओं से पहले दिन से ही असर दिखना शुरू होता है और 10 दिन में काफी समस्या ठीक हो जाती है। पूरी तरह से समस्या से निजात मिलने में एक से तीन माह तक का समय लगता है।

गोली से डस्ट बनकर निकल जाएगा स्टोन

डॉ। पंकज अग्रवाल ने बताया कि गाल ब्लैडर के स्टोन कई बार कॉमन बाइल डक्ट में फंस जाते हैं। जिनके लिए अब तक सर्जरी ही सहारा था। लेकिन होम्योपैथी में ऐसी दवाएं उपलब्ध हैं जिनसे ये स्टोन डस्ट बनकर बाहर निकल जाते हैं। हालांकि ये दवाएं सिर्फ विशेषज्ञ होम्योपैथी डॉक्टर की सलाह से ही ली जानी चाहिए। नेत्र विशेषज्ञ डॉ। उत्सम गोयल ने कहा कि आंख के गंभीर रोगों में होम्योपैथी बहुत ही कारगर है़ हानिरहित ये दवाएं बीमारी का परमानेंट इलाज करती हैं।

आयुष से ही सबको मिलेगा इलाज

केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के वरिष्ठ सदस्य डॉ। अनुरूद्ध वर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार आयुष पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आयुष नीति 2016 बना रही है़ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी यह स्वीकार किया है कि बिना आयुष पद्धतियों के सबको स्वास्थ्य का संकल्प पूरा नही किया जा सकता़ उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने डब्लूएचओ से आयुष पद्धतियों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने के लिए अनुबंध किया है़ होम्योपैथी भारत में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक अपनाई जाने वाली पद्धति है। इसलिए अब होम्योपैथी को भी नेशनल हेल्थ मिशन और राष्ट्रीय कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने होम्योपैथी के छात्रों के स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप के दौरान दिए जाने वाले इंटर्नशिप भत्ते को 7.5 से बढ़ाकर 15 हजार करने की मांग की। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में जोड़ों का दर्द, पेट, मानसिक समस्याओं, बच्चों व महिलाओं के लिए संपूर्ण इलाज होता है।

लखनऊ में बनेगी प्रदेश की दूसरी लैब

निदेशक होम्योपैथी डॉ। विक्रमा प्रसाद ने कार्यक्रम में बताया कि लखनऊ में मोहन चिकित्सालय में होम्योपैथी की टेस्टिंग लैब बनाई जाएगी। गाजियाबाद के बाद यह प्रदेश की दूसरी लैब होगी। इसके लिए आयुष मिशन के तहत यह प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के होम्योपैथी मेडिकल कॉलेजों को केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के मानकों के अनुसार पूरा किया जा रहा है। राष्ट्रीय आयुष मिशन से प्रदेश में आयुष पद्धतियों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ और गोरखपुर में खुलने वाले मेडिकल कालेज जल्द ही शुरू किए जाएंगे। इस अवसर पर रिसर्च सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ। सीपी सिंह, सचिव डॉ। आशीष वर्मा, डॉ। एएस खान, डॉ। राकेश श्रीवास्तव, डॉ। अविनाश श्रीवास्तव, डॉ। पन्नालाल, पूर्व निदेशक होम्योपैथी प्रो। बीएम सिंह सहित बड़ी संख्या डॉक्टर व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive