- एप्पल और एंड्रायड फोन पर मिल रहा है प्रोजेक्ट

- प्रोजेक्ट बनाने में बच्चों के साथ पेरेंट्स भी कर रहे मेहनत

Meerut सीबीएसई स्कूलों का होमवर्क पेरेंट्स का पसीना निकाल रहा है। प्राइमरी विंग के बच्चों से लेकर मीडिल क्लास तक के स्टूडेंट्स बस होमवर्क से परेशान हैं। होमवर्क की इस सिरदर्दी से बच्चे से ज्यादा तो पेरेंट्स को मशक्कत करनी पड़ रही है। किसी जमाने में होमवर्क मिलने से पेरेंट्स को लगता था कि उनका बच्चा छुट्टियों में भी स्टडी से जुड़ा हुआ है, लेकिन आज होमवर्क में आते चेंज ने पेरेंट्स की सोच भी बदलकर रख दी है। इलेक्ट्रॉनिक मॉडल्स से लेकर तमाम तरह के आधुनिक प्रोजेक्ट की जानकारी जुटाने में पेरेंट्स और बच्चे दोनों ही परेशान नजर आ रहे हैं।

लगता है अपनी पढ़ाई हो

बच्चों के साथ होमवर्क में आधी से ज्यादा भागीदारी निभाती मदर्स को अब अपने दिन याद आ रहे हैं। मदर्स का यही मानना है कि आजकल के होमवर्क ने तो पेरेंट्स को भी पढ़ाई याद दिलवा दी है। मोहनपुरी निवासी मधु मक्कड़ बताती है कि उनके दोनों बच्चे अभी बहुत छोटे है। दस प्रोजेक्ट मिले हैं, प्रोजेक्ट बनाने में पूरा दिन साथ में लगना पड़ता है। वहीं बेगमबाग की राशी चौधरी ने बताया कि उनकी बेटी सोफिया में क्लास सात में है, उसे सांइस के इलेक्ट्रॉनिक मॉडल्स में अमूल की फैक्ट्री का प्रोजेक्ट बनाने को मिला है। उसके साथ धूप में इधर से उधर भागने से सिरदर्द हो जाता है।

ऐसे मिल रहा है होमवर्क

गुरुतेग बहादुर स्कूल -क्लास थर्ड के स्टूडेंट्स को पांच एतिहासिक स्थानों की फोटो सहित टूर प्रोजेक्ट बनाओ। क्लास सेकेंड में दस तरह की अलग पत्तियों को चिपकाकर उनके बारे में जानकारी दो। क्लास फोर्थ में रोड सिग्नल पर एक प्रोजेक्ट फाइल बनाओ। क्लास फाइव में इंडियन मैप के बारे में जानकारी दो। क्लास 8 में वॉटर पॉल्यूशन पर एक प्रोजेक्ट बनाओ।

एमपीएस स्कूल- क्लास थर्ड में अपने आसपास के लोगों से शहर की समस्याओं पर बात कर प्रोजेक्ट बनाओ। क्लास फोर्थ में एक क्राफ्ट फाइल में भारत की विभिन्न नदियों पर प्रोजेक्ट बनाने को मिला है।

सेंट मेरीज स्कूल- क्लास फ‌र्स्ट में बच्चों को डिफरेंट टाइप चार्ट बनाने को दिए गए है। चार्ट में जरनल नॉलेज के क्वेश्चन आंसर, ऐतिहासिक जगह के चित्र दिए है। क्लास थर्ड में पानी बचाने के उपाय पर एक प्रोजेक्ट फाइल दी गई है। क्लास छह में एनवायरमेंट सेफ्टी पर फाइल, क्लास आठ और छह में वर्किंग मॉडल्स एनर्जी, सोलर सिस्टम, पवन चक्की, इलेक्ट्रानिक चीजों पर वर्किंग मॉडल और अमूल फैक्ट्री पर मॉडल दिया है।

सोफिया ग‌र्ल्स स्कूल

क्लास सेकेंड में लड़कियों को फैमिली फोटो के साथ ही एसए लिखने को कहा गया है, क्लास फाइव में गर्मियों की बीमारियों पर एक प्रोजेक्ट फाइल बनाने को मिली है। क्लास आठ में एप्पल फोन वर्सेज एंड्रायड फोन पर एक प्रोजेक्ट बनाने को दिया गया है।

ख्00 से एक हजार का खर्चा

पेरेंट्स के इन प्रोजेक्ट को बनवाने में दो सौ से एक हजार रुपए तक खर्च हो रहे हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक आइटम या मॉडल को बनाने में भी कम से कम पांच सौ रुपए का खर्च तो आ ही रहा है। और एक बच्चे को कम से कम पांच से सात प्रोजेक्ट फाइल और दो मॉडल्स तो बनाने को मिले ही है। जिसमें पेरेंट्स की मेहनत, भागदौड़ के साथ ही एक हजार रुपए तक का खर्च मामूली सी बात है। शास्त्रीनगर की चांदनी वाधवा ने बताया कि प्रोजेक्ट इतने सारे है कि बनाने का समय नही है। बाजार से बनवाने में एक दो हजार तो कही नहीं जाते है।

तो ऐसे परेशान हैं मम्मियां

बच्चों के साथ पूरा दिन होमवर्क में खुद ही लगना पड़ता है, प्रोजेक्ट बनाने के लिए सामान लेने कभी लाला के बाजार जाना तो कभी आरजी रोड पर जाना रोज की सिरदर्द हो गई है। जो भी प्रोजेक्ट मिले हैं उनमें हर एक पर कम से कम तीन सौ रुपए तो लगते ही है।

- चारु, मोहनपुरी

स्कूल से छुट्टियां होने के बाद सोचा था कुछ राहत मिलेगी। लेकिन इस होमवर्क ने तो पूरा दिन की दौड़ लगवा दी है। ऊपर से एक हजार रुपए से ऊपर खर्च भी हो गए है।

- सतनाम कौर, सदर

स्कूलों ने तो प्रोजेक्ट दे दिए है, अब पेरेंट्स बनाए या फिर बच्चे उससे स्कूलों को कोई मतलब नही है। उनको तो बस वर्डन डालना है, कभी फीस का बर्डन तो कभी होमवर्क का। आखिर पीसते तो पेरेंट्स ही है।

- दिव्या, बेगमबाग

Posted By: Inextlive