-पैरेंट्स का प्रोटेक्शन बच्चों को दे रहा अग्रेसिव बिहेवियर

-इंटरनेशनल डे ऑफ एनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम ऑफ अग्रेसिव

GORAKHPUR: सोनू शैतान नहीं है, मगर उसकी शिकायत अक्सर मिलती है। कभी स्कूल में किसी क्लासमेट को मार दिया तो कभी मोहल्ले में खेलते हुए बच्चे को धक्का मार दिया। कभी कोई चीज तोड़ दी। जबकि वह घर में डिसीप्लीन में रहता है। सभी की बात सुनता है। सोनू की इस आदत से पूरा परिवार परेशान है। यह कंडीशन सिर्फ सोनू या उसकी फैमिली की नहीं बल्कि अधिकांश बच्चों की है। टीवी पर आने वाले अटैकिंग कार्टून, सीरियल के साथ हॉरर फिल्में बच्चों को अग्रेसिव बना रही हैं। कुछ साल पहले तक जिस एज में बच्चे अपने हाथ से खाना भी नहीं खाते थे, उस एज में वे बड़े-बड़े कारनामें कर रहे हैं। बच्चों के अग्रेसिव होने के पीछे टीवी, फिल्मों के साथ बिगड़ रहा परिवारों का रिश्ता भी बड़ा कारण है। डॉक्टर और साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक ऐसे केस पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ रहे हैं।

सामने देखा और कैच कर लिया

एक्सपर्ट के मुताबिक बच्चों में कैचिंग पॉवर बहुत अच्छी होती है। इसलिए वह सामने देखने वाली हर चीज को कैच कर लेता है। उसे यह पता नहीं होता कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। टीवी पर आने वाले अधिकांश सीरियल, कार्टून और फिल्मों में एक्शन सीन काफी होता है, जिसे देख कर फैमिली मेंबर्स बहुत खुश होते हैं और तारीफ करते हैं। यह देख बच्चा तुरंत उसे कैच कर लेता है। फिर सोसाइटी के हाइटेक होने के साथ हॉरर फिल्मों का क्रेज भी बढ़ा है, जिसने अग्रेसिव नेचर और बढ़ा दिया है। जिससे बच्चे काफी अग्रेसिव हो रहे हैं।

छोटे-छोटे झगड़े बना रहे अग्रेसिव

बदलते समय के साथ न्यूक्लियर फैमिली का कल्चर बढ़ रहा है, जिससे बच्चों को हर छोटी चीज के बारे में जानकारी होती है। न्यूक्लियर फैमिली में हसबैंड-वाइफ के बीच झगड़े के मामले भी बढ़ रहे हैं, जिसका सीधा इफेक्ट बच्चे पर पड़ता है। साथ ही अधिकांश महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान एक्शन के साथ हॉरर फिल्में देखती है, जिसका इफेक्ट उसके बेबी पर पड़ता है। इन बच्चों में अग्रेसिव होने के चांस काफी अधिक रहते हैं।

बच्चों के प्रति पैरेंट्स का बढ़ रहा प्रोटेक्टिव नेचर उन्हें अग्रेसिव बिहेवियर का बना रहा है। पैरेंट्स हर छोटी गलती पर प्रोटेक्ट कर उन्हें ईगोस्टि बना देते हैं, जिससे वह अग्रेसिव बिहेवियर का हो जाता है। बच्चों में नकल करने की क्षमता अधिक होती है, जिससे वह फिल्मों में दिखाई जाने वाली हर चीज कैच कर लेता है।

डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

प्रेग्नेंसी के दौरान तेज साउंड और एक्शन वाली फिल्मों के साथ सीरियल नहीं देखना चाहिए, क्योंकि इससे कई बार महिलाएं डर जाती हैं। जिसका सीधा इफेक्ट न्यू बॉर्न बेबी पर पड़ता है। साथ ही स्मोकिंग और टोबैको यूज करने वाली मदर के बेबी भी काफी अग्रेसिव नेचर के होते हैं।

डॉ। रीमा गोयल, गाइनकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive