-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

-महिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं को इलाज से लेकर दवा तक है फ्री

-डिलीवरी के बाद परिजनों से बख्शीश व मिठाई खाने के नाम पर वसूला जा रहा है 15 सौ से दो हजार

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Case-1

लक्सा निवासी निर्मला ने चार दिन पहले राजकीय महिला चिकित्सालय, कबीरचौरा में बेटे को जन्म दिया था। ऑपरेशन के जरिए बच्चे को जन्म देने वाली निर्मला को वहां तैनात स्टॉफ को 1500 रुपए बतौर बख्शीश देनी पड़ी। जबकि चिकित्सालय में डिलेवरी के लिए किसी भी तरह के फीस का प्रावधान नहीं है।

Case-2

कज्जाकपुरा की प्रीती ने भी राजकीय महिला चिकित्साल, कबीरचौरा में आपरेशन के जरिये एक बेटे को जन्म दिया था। डिलीवरी के बाद ऑपरेशन के नाम पर दो हजार रुपए की मांग की गई। प्रीती की माली हालत ठीक न होने की वजह से उनके परिजनों ने सिर्फ 1500 रुपये ही दिये। इस पर वहां के ड्यूटी स्टॉफ ने उससे अपनी नाराजगी भी जाहिर की।

Case-3

सोनातालाब के रहने वाले अमरेश की पत्‍‌नी सलोनी को भी राजकीय महिला चिकित्साल, कबीरचौरा में एक सप्ताह पहले बेटा हुआ था। डिलिवरी के तुरंत बाद ही उनसे भी मिठाई खाने के नाम पर 1500 रुपए ले लिया गया। उन्होंने बताया कि इस हॉस्पिटल में सब कुछ फ्री होने के बाद भी मिठाई के नाम पैसे देने पड़ते है। उनके पहले बच्चे का जन्म भी यही हुआ था। उस दौरान भी पैसा देना पड़ा था।

ये तीनों केसेज यह बताने के लिए काफी हैं कि जिस शहर के जिस महिला चिकित्सालय में सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के लिए सब कुछ फ्री किया गया है, वहां डिलीवरी के बाद उनके परिजनों से बख्शीश और मिठाई के नाम पर नाजायज तरीके से फीस ली जा रही है। मामला यही नहीं खत्म होता। यदि कोई महिला मरीज पैसे देने में सक्षम नहीं होती है तो उससे डिस्चार्ज होने तक पैसे का अरेंजमेंट करने को कहा जाता है। ऐसा न करने पर महिला से उसे सरकार की ओर से मिलने वाले प्रोत्साहन राशि को देने की मांग की जाती है।

अफसरों की नहीं नजर

बख्शीश के नाम पर मरीजों से की जा रही वसूली के इस गोरखधंधे में सिर्फ फोर्थ क्लास कर्मचारी नहीं, बल्कि यहां के डॉक्टर्स और नर्स तक शामिल हैं। ऊपर से लेकर नीचे तक पैसों का डिस्ट्रीब्यूशन होता है। हॉस्पिटल में यह खेल लंबे समय से चल रहा है। लेकिन इस पर न तो हॉस्पिटल प्रबंधन की नजर है और न स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की।

हर मरीज को पैसा देना जरूरी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस मामले की पड़ताल की तो जो सामने आया वह चौंकाना वाला है। महिला चिकित्सालय में आने वाली किसी भी गर्भवती महिला को बख्शा नहीं जाता। डिलीवरी के बाद ओटी से निकलते ही किसी न किसी तरीके से उससे पैसे की वसूली कर ही ली जाती है। हर महिला से डिलीवरी के बाद दो हजार की डिमांड की जाती है। जो सक्षम नहीं होतीं उनसे बार्गेनिंग की जाती है। लेकिन देना हर किसी को पड़ता है।

फ्री इलाज के नाम पर जेब खाली

गरीबों की मदद के लिए पीएम मोदी ने रविवार को आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत इसी उद्देश्य से की ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके, लेकिन पीएम के संसदीय क्षेत्र बनारस के सरकारी अस्पतालों में ही फ्री इलाज के नाम पर मरीजों की जेब पर डाका डालने का खेल बदस्तूर जारी है। ऐसे में यह कैसे समझा जाए कि बड़ी सरकारी योजनाओं का यहां क्या हाल होगा।

योजनाओं का क्या फायदा?

बता दें कि सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा योजना, जननी सुरक्षा योजना और मातृत्व वंदना योजना जैसी तमाम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। यही नहीं महिला चिकित्सालय से लेकर पीएचसी, सीएचसी में भी प्रेगनेंट लेडीज की जांच के लिए तमाम व्यवस्थाएं हैं। फिर भी हर किसी को इसका लाभ मिल ही जाए यह कहना भी मुश्किल है।

एक नजर

125

बेड का है राजकीय महिला चिकित्सालय

550 से 600

डिलीवरी होती है हर माह

18 से 20

डिलीवरी होती है रोजाना

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गर्भवती महिलाआें के लिए संचालित याेजनाएं व लाभ

जननी सुरक्षा योजना

1000

रुपये डिलीवरी के बाद प्रोत्साहन राशि शहरी महिलाओं को

1400

रुपये ग्रामीण महिलाअों को

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मातृ वंदना योजना

5000

रुपए का लाभ किस्तों में

1000

रुपये रजिस्ट्रेशन के समय

2000

रुपये प्रेगनेंसी के दौरान 4 जांच के बाद

2000

रुपये डिलीवरी के बाद बच्चे का टीकाकरण कराने पर

जांच टीम समय-समय पर जांच करती रहती है। अगर मरीजों से पैसे लिए जा रहे हैं तो लिखित में शिकायत करें ताकि संबंधित कर्मचारी व चिकित्सक पर कार्रवाई की जा सके।

डॉ। आरपी कुशवाहा, एसआईसी, राजकीय महिला चिकित्सालय, कबीरचौरा

Posted By: Inextlive