कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है। अब तक इससे लाखों लोगों की मौत हो गई। दावा है कि ये वायरस चमगादड़ से इंसानों में फैला है। मगर चमगादड़ को इस वायरस से कोई दिक्कत नहीं होती और वह बीमार भी नहीं पड़ता। इस बात का पता चल गया।

टोरंटो (पीटीआई)। साइंटिस्ट ने आखिर पता लगा लिया कि चमगादड़ में कोरोना वायरस होता है, मगर वो बीमार क्यों नहीं पड़ते। जरनल साइंटफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) और SARS-CoV-2 वायरस जिसे कोरोना वायरस की श्रेणी में रखा जाता है, वह चमगादड़ में पाया जाता है। इंसानों में इस वायरस के प्रवेश करते ही यह उनके इम्यून सिस्टम को खत्म कर देता है जिसे इंसान की जान चली जाती है। मगर चमगादड़ में ऐसा कोई प्रभाव नहीं देखा जाता।

चमगादड़ के सेल्स को नहीं खत्म करता वायरस

कनाडा की यूसैक यूनिवर्सिटी के रिसर्चस विक्रम मिश्रा के अनुसार, 'चमगादड़ों में यह वायरस जरूर पाया जाता है मगर वो बीमार नहीं पड़ते। हम जानना चाहते थे कि एमईआरएस वायरस चमगादड़ के इम्यून सिस्टम को नुकसान क्यों नहीं पहुंचाता, जबकि मानव के लिए यह घातक साबित होता है।' स्टडी में पाया गया कि चमगादड़ में यह वायरस जब पहुंचता है तो यह उसकी सेल्स को नुकसान पहुंचाने के बजाए उसके साथ काम करने लगता है। मिश्रा कहते हैं, 'एमईआरएस वायरस मानव सेल्स को तो खत्म कर देता है मगर चमगादड़ के सेल्स को नहीं। यानी कि वह चमगादड़ के इम्यून सिस्टम के साथ मिलकर काम करता है।'

प्राकृतिक वजह भी है

यूसैक के साइंटिस्ट डेरिल फेलजारनो जो इस स्टडी के को-ऑथर हैं। वह कहते हैं, 'हम देखते हैं कि एमईआरएस कोरोनोवायरस बहुत तेजी से खुद को एक विशेष स्थान पर ढाल सकते हैं, और हालांकि हम पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं कि यह क्या चल रहा है, यह दर्शाता है कि ये वायरस एक प्रजाती से दूसरी प्रजाती में आसानी से पहुंच जाता।' शोधकर्ताओं ने कहा, कोरोना वायरस के संपर्क में आने पर चमगादड़ सेल्स अनुकूल नहीं होने के कारण सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन का उत्पादन करते हैं, जो प्राकृतिक एंटीवायरल का काम करता है। जबकि मुनष्यों में इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं होती है।'

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari