आज भी कोई टॉफी कैंडी हो या फिर कोई और प्रोडक्‍ट ये सभी चीजे अक्‍सर घरों की छतों पर आने वाले बंदरों से लोग बचाते हैं। कई बार तो बंदर घरों में घुसकर भी ऐसे कई सामान उठा ले जाते हैं। तब बहुत गुस्‍सा आता है लेकिन आपको नहीं पता होगा कि ये नारियल पानी टॉफी साबुन तेल मिठाई आदि बनाने में इन बंदरों का बड़ा योगदान है। इन बंदरों की मदद से ही थाईलैंड में इन प्रोडक्‍ट में अरबों रुपये की कमाई होती है।

उनकी मां से चुरा लिया जाता
थाईलैंड में नारियल का एक बड़ा करोबार फैला है। इसके साथ ही यहां पर बंदरों की भी एक बड़ी लॉबी है। ऐसे में आज के समय में यहां पर बंदर ही नारियल का व्‍यवसाय कर रहे हैं। यह पढ़कर शायद आप चौक गए होंगे, लेकिन यह पूरी तरह से सच हैं। यहां से दुनिया के कई देशों में जाने वाले नारियल से बने प्रोडक्‍ट इन बंदरों की वजह से ही सार्थक हो रहे हैं। थाईलैंड में जब बंदर पैदा होते हैं तो उन्‍हें कुछ समय बाद उनकी मां से चुरा लिया जाता है। मां से दूर होने के बाद कुछ दिन तो ये मासूम बंदर के बच्‍चे रोते हैं लेकिन फिर धीरे धीरे ढल जाते हैं।

स्‍कूल में दाखिल प्रशिक्षण

इसके बाद उन्‍हें वहां पर बंदरों को प्रशिक्षण देने वाले स्‍कूल में दाखिल करा दिया जाता है। उन्‍हें बकायदा पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है। इस दौरान प्रशिक्षण के बाद उन्‍हें धीरे धीरे अकेले नारियल तोड़ने के लिए भेजा जाता है। ऐसे में जब प्रशिक्षण कर्ताओं को यकीन हो जाता है कि अब बंदर ट्रेंड हो गए हैं तो फिर वे अकेले ही इस काम में लगा दिया जाता है। ये गले में रस्‍सी बांधे छोटे छोटे बंदर काफी ऊंचाई वाले पेड़ों पर चढ़कर आराम से नारियल तोड़ते हैं। इस दौरान ये छोटे छोटे बंदर उम्र के साथ इसमें अनुभवी होते चले जाते हैं। ये एक दिने में करीब 1000 नारियल तोड़ते हैं।

बंदर इंसानों से ज्‍यादा मेहनती

थाईलैंड में मंकी ट्रेनिंग सेंटर चलाने वालों का कहना है कि ये बंदर इंसानों से ज्‍यादा मेहनती है। सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ये काफी नारियल तोड़ देते हैं। सबसे खास बात तो यह है ये बिजनेस में प्रॉफिट वाले साबित हो रहे हैं। आज इनकी डिमांड ज्‍यादा हो रही है। ये आराम से काफी ऊंचाई तक चढते जाते हैं। इनके गिरने का भी खतरा नही है। ये न कोई चोरी करते है और न भ्रष्‍टाचार आदि है, बल्‍कि ये लाइव मशीन की तरह से काम करते हैं। इनके गिरने आदि पर किसी तरह का कोई बीमा और मुआवजा आदि नहीं देना पड़ता है। ऐसे में पर अरबों का सफल कारोबार होता है।

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Posted By: Shweta Mishra