- जिले में केवल नौ स्कूलों में ही हैं खेल के मैदान, 378 स्कूलों में है बस 38 स्पो‌र्ट्स टीचर्स

- खेल के नाम पर एक स्कूल को सरकारी खजाने से मिलते हैं सालभर के मात्र 60.24 रुपए

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Meerut : 'खेलेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया', आपने अक्सर टीवी पर इस तरह के एडवरटीजमेंट के माध्यम से खेलों को बढ़ावा देते देखा या सुना होगा। मगर हकीकत तो यह है कि हमारे जिले के हालात इंडिया को आगे बढ़ाने वाले बिल्कुल नहीं हैं, क्योंकि यहां न तो खेलने के लिए मैदान हैं न ही खिलाडि़यों को सिखाने वाले प्रशिक्षक। जी हां, हम बात कर रहें है मेरठ जिले के सरकारी स्कूलों की, जहां केवल चुनिंदा स्कूलों को छोड़कर न तो कहीं खेल का मैदान है और न ही किसी स्कूल में टीचर हैं। बिना सुविधाओं के हम कैसे धौनी, विराट, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल बनने की उम्मीद जता सकते हैं?

फ्78 स्कूलों में बस फ्8 खेल टीचर

मेरठ जिले में टोटल फ्78 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें क्फ्ख् एडेड, फ्ब् गवर्नमेंट और बाकी के ख्क्ख् स्कूल वित्तविहिन स्कूल हैं, जिनमें अगर हम स्पो‌र्ट्स टीचर की बात करें तो बहुत चौंकाने वाले आंकड़े सामने आते हैं। फ्78 स्कूलों में मात्र फ्8 ही पीटीआई टीचर्स हैं, जो बच्चों को खेल की ट्रेनिंग देने के लिए स्कूलों में हैं। वहीं हम जीआईसी की बात करें तो मेरठ में म् जीआईसी स्कूल है जिनमें तीन ही में स्पो‌र्ट्स टीचर हैं।

सिर्फ 9 में प्ले ग्राउंड

सरकारी स्कूलों में खेल के मैदान के हिसाब से कुछ मानक दिए हुए हैं। स्कूलों में फुटबॉल का मैदान कम से कम क्00 मीटर लंबा और 80 मीटर चौड़ा, वॉलीबॉल के लिए 9*8 का ग्राउंड और अगर हम एक स्कूल के स्टैंडर्ड टै्रक की बात करें तो ब्00 मीटर का होता है। अगर हम मेरठ शहर के स्कूलों में प्ले ग्राउंड की बात करें तो मेरठ में फ्78 स्कूलों में से मात्र 9 ही स्कूलों में प्ले ग्राउंड हैं।

इन स्कूलों में प्ले ग्राउंड

- जीआईसी इंटर कॉलेज

- फैज ए आम इंटर कॉलेज

- सीएवी इंटर कॉलेज

- एसडी ब्वॉयज इंटर कॉलेज

- एनएएस इंटर कॉलेज

- बीएवी इंटर कॉलेज

- डीएन इंटर कॉलेज

- डीएनजी डौलरी इंटर कॉलेज

- लावड़ इंटर कॉलेज

बजट बस म्0.ख्ब् रुपए

अगर हम सरकारी बजट की बात करें तो हैरानी होती है। क्योंकि यहां खेल के नाम पर जिले के लिए पूरे साल का बस दस हजार रुपए ही आता है। इस बजट में वित्तविहिन स्कूलों को नहीं गिना जाता है। इसलिए मेरठ में एडेड और गवर्नमेंट स्कूल मिलाकर टोटल क्म्म् स्कूल हैं। दस हजार रुपयों को सभी क्म्म् स्कूलों में बराबर डिस्ट्रिब्यूट करें तो एक स्कूल का सालभर का बजट म्0.ख्ब् रुपए ही आता है। इस बजट में स्कूलों में खेलों के लिए उपकरण, खेल प्रतियोगिताओं में मिलने वाले पुरस्कार, खेल मैदान, बच्चों को लाने व ले जाने का खर्च और अन्य खर्च सभी निकालने होते हैं।

आठवीं तक है फ्री स्पो‌र्ट्स

शासन आदेशानुसार आठवीं तक के बच्चों से खेल के लिए कोई भी फीस नहीं होता है। वहीं नौवीं से ग्याहरवीं के बच्चों के लिए दो रुपए पर मंथ और क्क् से क्ख् तक के बच्चों के लिए प्रत्येक बच्चे से तीन रुपए फीस लिया जाता है। जो कि स्कूलों के लिए बेहद कम है। टीचर्स की माने तो स्कूलों को अपनी जेब से ही कुछ खर्च करने होते है।

होते हैं क्8 गेम

बच्चों को जिले स्तर से लेकर स्टेट लेवल तक क्8 खेल कराए जाते हैं। जिनमें एथलेटिक्स, तैराकी, वॉलीबॉल, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट, हॉकी, बास्केटबॉल, टेबल टेनेस, कुश्ती, जूडो, जिमनास्टिक, राइफल, आर्चरी, शूटिंग आदि क्8 गेम करवाए जाते हैं। जिनमें एथलेटिक्स और तैराकी के लिए तीन ग‌र्ल्स और तीन ब्वॉयज की टीम बनाई जाती है। बाकी सभी गेम्स के लिए दो ग‌र्ल्स और दो ब्वॉयज की टीम तैयार की जाती है। जिनमें टोटल मिलाकर इस साल 9ख्8 बच्चों का सिलेक्शन मंडल लेवल पर खेलने के लिए किया जाता है।

महंगे होते हैं उपकरण

अगर हम गेम्स कराने के लिए उपकरण के खर्च की बात करें तो यह उपकरण काफी महंगे होते हैं। एक आर्चरी कम से कम डेढ़ लाख रुपए में आती है। रैकेट हल्के से हल्का सौ रुपए और क्वालिटी रैकेट की कीमत एक हजार से पांच हजार रुपए होती है। शटल दस रुपए से क्भ्0 रुपए में आती है। इसके अलावा काफी सारे उपकरण ऐसे हैं जो एक से दो लाख के बीच भी आते हैं। समस्या यहां है कि सरकारी खजाने में से केवल दस हजार पूरे जिले के लिए हैं। ऐसे में कैसे खेलों को बढ़ावा देने के दावे सरकार कर रही है?

खेलों को बढ़ावा देने के लिए ग्रांट ज्यादा होनी चाहिए। क्योंकि स्कूलों में बच्चों की डाइट, उपकरण व अन्य खर्च के लिए यह ग्रांट बेहद कम है। इसमें बदलाव की आवश्यकता है।

आनंद शर्मा, जनपदीय एवं मंडलीय क्रीड़ा प्रभारी मेरठ मंडल

पुराने स्कूल कंजस्टेड एरिया में बने हैं, लेकिन इनके कहीं न कहीं अपने भूमि भवन अलग से होंगे। रही स्पो‌र्ट्स टीचर्स की बात तो उनके पदों को भरने के लिए कार्रवाई चल रही है, कोशिश है जल्द ही रिक्त पदों को भरा जाएगा।

एके मिश्रा, डीआईओएस

Posted By: Inextlive