भारतीय, जो देश में ही नस्लभेद के शिकार
सोमवार को थापा ने कहा, “एक खिलाड़ी के तौर पर मैं दुनिया के अलग-अलग देशों में खेलने जाता हूं. वहां कभी मुझे नस्लभेद का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन जब टूर्नामेंट खेलकर भारत में एयरपोर्ट पर उतरा तो कई बार लोगों की नस्लीय टिप्पणियों को झेलना पड़ा.”दिल्ली में अरूणाचल प्रदेश के छात्र नीडो तानियम की मौत और मणिपुर की छात्रा से कथित बलात्कार के मामलों पर शिव थापा ने कहा कि नस्लीय हिंसा के मामलों में पुलिस की प्रतिक्रिया काफ़ी ढीली होती है.मूल रूप से असम के शिव थापा ने कहा, “मैं सरकार से गुज़ारिश करना चाहता हूं कि किसी भी तरह की नस्लीय भेदभाव या हिंसा के मामलों को गंभीरता से लिया जाता चाहिए और तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. पूर्वोत्तर के लोग भी भारतीय हैं, उन्हें भी बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए, इज़्ज़त मिलनी चाहिए.”
शिव थापा ने आगे कहा, “जब मैं एक भारतीय होने के नाते दूसरे देशों में खेलने जाता हूं तो हर कदम पर इस बात का एहसास होता है कि मैं अपने देश के लिए खेल रहा हूं. लेकिन राजधानी दिल्ली में इस तरह की घटनाएं होती है तो थोड़ा अजीब लगता है, मन में आता है कि शायद जिस देश के लिए खेल मैं रहा हूं वहां लोग हमारे राज्य के लोगों को अपना नहीं मानते.”नस्लीयता-रोधी क़ानून की मांगदिल्ली में पूर्वोत्तर के लोगों के ख़िलाफ़ कथित नस्लीय भेदभाव और हिंसा के विरोध में छात्र संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता एक कड़े नस्लभेद-रोधी कानून की मांग कर रहे हैं.दुकानदारों के साथ मारपीट की घटना के बाद अरूणाचल प्रदेश के छात्र नीडो तनियम की मौत और उसके कुछ ही दिन बाद दिल्ली में मणिपुर की एक छात्रा के साथ कथित बलात्कार, और रविवार को मणिपुर के दो युवकों के साथ मारपीट की घटनाओं के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि दिल्ली में पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा नस्लभेद का नतीजा है.दिल्ली में कथित नस्लीय हिंसा के ख़िलाफ लगातार विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं.
हालांकि नीडो के परिजन पुलिस की अब तक की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.