PATNA : थानेदारों को मानवाधिकार का कोई फिक्र नहीं है। यही कारण है कि आज भी थानों पर अधिकतर फरियादियों की फरियाद नहीं सुनी जाती है। इससे वह पुलिस अधिकारियों के साथ न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश अधिक संख्या में ऐसे मामले हैं जो थानों पर नहीं सुने गए हैं। इसमें कुछ थाना पर गए और कुछ कोर्ट कई ऐसे भी हैं जो थक हार कर शांत बैठ गए।

संज्ञान लेने में पुलिस उदासीन

शिकायतों के निस्तारण और केस दर्ज करने में बिहार पुलिस का हाल बेहाल है। एक दो नहीं ऐसे कई मामले हैं जिसमें पीडि़तों को न्याय के लिए दौड़ना पड़ा लेकिन न्याय नहीं मिल सका है। आईए देखते हैं क्या कहता है एनएचआरसी का वर्ष ख्0क्भ् का आंकड़ा।

न्याय के लिए सिसक रहीं बेटियां

नवंबर माह में पटना के सेंट जेवियर्स स्कूल में एक नर्सरी की छात्रा के साथ दो टीचरों की क्रूर हरकतों से शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा हुआ है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया और आरोपियों को जेल भेज दिया है लेकिन उस घटना को पीडि़ता और उसके परिजन कैसे भूल पाएंगे। न्याय के लिए मासूम छात्रा जैसी कई पीडि़ताएं हैं जो आवाज उठा रही हैं। पीडि़ता को न्याय के लिए काफी भटकना पड़ता है। इस बड़ी घटना के बाद उसे एडमिशन के लिए काफी भटकना पड़ा है। जिले के कई आला अफसरों को अप्लीकेशन देना पड़ा इसके बाद भी न्याय के लिए संघर्ष जारी रहा। रेप और अन्य मामलों में पीडि़त ऐसी महिलाओं की संख्या कम नहीं है जो न्याय के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं।

बोलते आंकड़े

बिहार में दर्ज कुल मामलों की संख्या - क्98078

लिखित शिकायत पर एसएचओ द्वारा दर्ज कराए गए मामले - क्7फ्फ्7ख्

एसपी के पास पहुंचे फरियादियों की शिकायत पर दर्ज मामले - ख्ख्भ्ब्

कोर्ट में जाने के बाद थाना में दर्ज किए गए मामले - क्फ्7म्फ्

मौखिक कम्प्लेंट के मामले - 7ब्म्8

डायल क्00 के माध्यम से दर्ज मामले - 78

इलेक्ट्रानिक्स माध्यम से दर्ज मामले - 0

Posted By: Inextlive