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फ्लैग: ह्यूमन ट्रैफिकर रोहित मुनि ने किया खुलासा, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास है बातचीत का रिकॉर्ड

- ऑडियो में झारखंड पुलिस पर लगाए कई संगीन आरोप

- पुलिस जिसे दिल्ली से बरामद कर ले जाती है, उसे दूसरे दलालों के हाथों सौंप देते हैं अभिभावक

kuber@ inext.co.in

RANCHI(10 March): मानव तस्करी की जांच और अनुसंधान के नाम पर झारखंड पुलिस दिल्ली में ऐसे कारोबार करनेवालों से पैसे वसूल रही है। पुलिस किसी केस में अनुसंधान करने आती तो जरूर है, लेकिन यहां मानव तस्करों से 50 हजार या एक लाख रुपए लेकर लौट जाती है। यह सनसनीखेज खुलासा सिमडेगा पुलिस थाने में मानव तस्करी के आरोपी रोहित मुनि ने किया है। उसने कहा है कि झारखंड राज्य के सभी आला अधिकारियों से उसकी जान-पहचान है। झारखंड पुलिस मानव तस्करी को धंधा बना ली है। रोहित मुनि ने कहा है कि वह दिल्ली में गरीबों की मदद करता है। मानव तस्करों के खिलाफ आवाज उठाता है, फिर झारखंड पुलिस उसे मानव तस्करों का सरगना समझती है और बगैर जांच पड़ताल किए उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर देती है। रोहित मुनि की बातचीत का रिकॉर्ड दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के पास है। जिसमें उसने झारखंड पुलिस पर जमकर आरोप लगाए हैं।

क्या है मामला

रोहित मुनि ने बताया है कि झारखंड पुलिस दिल्ली से जिन बच्चियों को रेस्क्यू कर ले जाती है, उसे उसके परिवार को सौंप दिया जाता है। लेकिन, एक माह बाद वही बच्ची फिर से दिल्ली आ जाती है। इधर, झारखंड पुलिस के पास किसी भी बच्ची के मां-बाप चले जाते हैं और शिकायत करते हैं तो पुलिस उनके अंगूठे का निशान लगवा लेती है। फिर, उसके बयान के आधार पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर देती है। इसके बाद झारखंड पुलिस दिल्ली आती है। कहा जाता है कि आपके खिलाफ कंप्लेन है। फिर, वही पुलिस नजराने के तौर पर 50 हजार रुपए या एक लाख रुपए तक डिमांड करती है। डिमांड पूरी होने के बाद अनुसंधान और पूछताछ बंद हो जाती है। झारखंड से मानव तस्करी नहीं हो रही है, बल्कि झारखंड पुलिस ने इसे अपना एक धंधा बना लिया है।

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फरीदाबाद से बच्चियों को कराया था बरामद

ऑडियो क्लिप में रोहित मुनि ने सफाई दी है कि गोड्डा इलाके की जिन दो बच्चियों को फरीदाबाद से बरामद किया गया था। उनलोगों की बरामदगी के लिए उसने खुद पहल की थी और संबंधित थाने में जून महीने में प्राथमिकी भी दर्ज कराने गया था। इसके बाद उसके परिजनों को तुगलकी रोड में रहनेवाले आदिवासी व दलित नेता शरद जी से भी मिलवाया था।

पुलिस अधिकारी ने दी है क्लीन चिट

उसने यह भी बताया कि रांची में पदस्थापित एक अधिकारी की रिपोर्ट में उसे कहीं भी दोषी नहीं पाया गया है। फिर भी उसे दोषी बता कर मानव तस्करी का आरोपी बना दिया गया है। ऑडियो में इस बात का भी जिक्र है कि 2012 में भी झारखंड पुलिस दिल्ली आई थी। उस वक्त झारखंड पुलिस उसे मानव तस्करी के आरोप में अरेस्ट कर सकती थी, लेकिन झारखंड पुलिस बैरंग क्यों लौट गई?

रोहित के खिलाफ बानो थाने में केस दर्ज

रोहित के खिलाफ सिमडेगा के बानो थाने में कांड संख्या 5/13 दर्ज है। इस मामले में उसके खिलाफ साल 2015 में वारंट भी जारी हुआ, लेकिन वह पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा। दिल्ली के 48/72 वेस्ट पंजाबी बाग में रहनेवाला रोहित मुनि की अच्छी पैठ कुछ सामाजिक संगठनों व नेताओं के बीच है। दिल्ली नगर निकाय चुनाव में वह पंजाबीबाग से उम्मीदवार भी था, लेकिन वह वहां चुनाव हार गया था। वह लगातार पुलिस अधिकारियों के साथ भी अपनी तस्वीरें लगाता है।

सीआईडी की लिस्ट में भी रोहित का नाम

झारखंड की सीआईडी ने रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा समेत राज्य के अन्य हिस्सों से भोली भाली लड़कियों की तस्करी करने वाले मानव तस्करों, प्लेसमेंट एजेंसी संचालकों की लिस्ट तैयार की थी। इस लिस्ट में भी रोहित का नाम था। रोहित के बारे में सीआईडी व अन्य एजेंसियों को जो सूचनाएं मिली हैं, उसके मुताबिक वह संपूर्ण घरेलू कामगार सर्वेक्षण एवं उत्थान समिति एवं संपूर्ण आदिवासी सांस्कृतिक उत्थान मंच के नाम से प्लेसमेंट एजेंसी चलाता है।

कोट

एक ट्रैफिकर द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद झारखंड पुलिस मामले की जांच करेगी। इस मामले में जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-आशीष बत्रा, आईजी सह प्रवक्ता, झारखंड पुलिस

Posted By: Inextlive