सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में ताजमहल के संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और टीटीजेड अथारिटी की ओर से पेश योजना पर सुनवाई हुई है। कोर्ट ने इनकी अस्थाई और फौरी योजानओं को पास नहीं क‍िया है। अदालत का कहना है क‍ि ताजमहल को सैकड़ों साल तक संरक्षित रखना है। ऐसे में इन योजनाओं से काम नहीं चलेगा। बतादें देश में ऐत‍िहास‍िक स्‍थलों को सरंक्षि‍त करने के ल‍िए व‍िशेष ध्‍यान द‍िया जा रहा है। हाल ही में भारतीय लोकतंत्र के गौरव के प्रतीक संसद भवन की सफाई भी वेपर व‍िध‍ि से शुरू की गई है।


संरक्षण के लिए समग्र योजना न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने ताज संरक्षित क्षेत्र में मल्टी लेबल पार्किंग बनाने के लिए 11 पेड़ काटने की उत्तर प्रदेश सरकार की अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को ताजमहल के संरक्षण के लिए समग्र योजना पेश करने को कहा था। इसके साथ ही कोर्ट ने ताज संरक्षित क्षेत्र अथारिटी (टीटीजेड) से भी इस बाबत योजना मांगी थी। अल्पकालिक उपाय से कुछ नहीं
पीठ ने उनकी दलीलों पर कहा कि ये सब अस्थाई और अल्पकालिक उपाय हैं। इससे कुछ नहीं होगा। ये उपाय बहुत काम के नहीं हैं। ताजमहल को अगली पीढिय़ों के लिए सैकड़ों साल तक संरक्षित रखना है। इसके लिए स्थाई और दीर्घगामी योजना बनाई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि इसमें सिर्फ नौकरशाहों को ही शामिल नहीं किया जाए, बल्कि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ, पर्यावरण और संस्कृति के जानकारों की भी मदद ली जाए। संसद भवन की वेपर से सफाई


भारतीय लोकतंत्र के गौरव के प्रतीक संसद भवन को अब अपनी 90 साल पुरानी चमक जल्द ही मिलने वाली है। फिलहाल इसके लिए दुनिया की सबसे आधुनिक वेपर (वाष्प) तकनीक का इस्तेमाल होगा जो बगैर किसी क्षति के पत्थरों के पुराने स्वरूप को प्रदान करती है। दावा है कि इस तकनीक का अब तक रोम के कैथोलिक चर्च को चमकाने में इस्तेमाल किया गया है। चार मंजिला अद्र्ध गोलाकार संसद भवन को चमकाने की यह पहल उस समय शुरू की गई है, जब उसकी बाहरी दीवारों पर लगे पत्थर प्रदूषण और धूप के चलते बदरंग होने लगे हैं।निठारी कांड में बड़ा फैसला, फिर सुनाई गई नौकर व मालिक को साथ-साथ फांसी की सजा

Posted By: Shweta Mishra