Patna : एक बच्चे की मौत के बाद एनएमसीएच की हालत बद से बदतर हो गयी. डॉक्टरों ने काम छोड़ दिया तो नर्स स्ट्राइक पर चली गयीं. सुपरिटेंडेंट अपने घर को चल दीं और डीएस कोर्ट में तारीख पर चले गए.


बच्चे की मौत के बाद फैमिली मेंबर्स ने मचाया बवाल
घटना दोपहर की है। वैशाली जिला के बिदुपुर के मुकेश चौधरी और उनके फैमिली मेंबर्स ने बच्चे की मौत के बाद जमकर बवाल मचाया। इन लोगों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उनके बेटे पवन को देखा और सूई लिखी। इसके बाद नर्स ने थोड़े अंतराल पर दोनों इंजेक्शन दिया, जिसके थोड़ी देर बाद ही बच्चे की मौत हो गई। वहीं डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे को दिमागी बुखार था और दौरा आ रहा था। मेडिसीन दी गई और वो कोलैप्स कर गया.

पहले से ही सीरियस थी कंडीशन
22 अगस्त को मुकेश चौधरी के करीब ढ़ाई वर्ष के बेटे पवन को ट्रीटमेंट के लिए एनएमसीएच में एडमिट किया गया था। उसे दिमागी बुखार था और दौरा भी आ रहा था। बच्चे को ट्रीटमेंट के लिए एनएमसीएच के पेड्रियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के डॉ। एके जायसवाल की यूनिट में एडमिट किया गया। एडमिट होते समय ही बच्चे को कैथेडर व ऑक्सीजन लगा था। उसे वैशाली से किसी डॉक्टर ने रेफर किया था। डॉ। जायसवाल ने कहा कि वो पहले ही पेशेंट के अटेंडेंट को बता चुके थे कि कंडीशन सीरियस है, कुछ भी हो सकता है। फाइनली गुरुवार को बच्चे की मौत हो गई।

डेडबॉडी जाने के बाद शांत हुआ मामला
पवन की मौत के बाद उसके परिजनों ने जमकर बवाल काटा। इमरजेंसी में तोडफ़ोड़ की और पिस्टल निकाल कर नर्स व डॉक्टरों को खदेड़ा भी। कई वार्ड के शीशे तोड़ डाले। ड्यूटी में मौजूद डॉक्टरों को अपशब्द कहा और उनके साथ मिसबिहेव किया। परिजनों ने पिस्टल लहराते हुए नर्सों को खदेड़ा और सिस्टर रूम में रखीं फाइलों व कागजात को फेंक दिया। अनेक नर्सें तो फस्र्ट व सेकेंड फ्लोर पर भागकर जान बचा पाईं। सूचना मिलते ही आलमगंज थाना के एसएचओ बीके सिंह सदल-बल पहुंचे। स्थिति की नाजुकता को देखते डीएसपी सुशील कुमार भी पहुंचे और आसपास के थानों की मोबाइल गाडिय़ों व वज्र वाहन को भी बुला लिया। पर, बच्चे की डेडबॉडी जाने के बाद मामला शांत हुआ.

एडमिनिस्ट्रेशन को जानकारी नहीं
इमरजेंसी में तोडफ़ोड़ की घटना व हंगामे के बाबत जब सुपरिटेंडेंट डॉ। शिवकुमारी प्रसाद से पूछा गया, तो उनका कहना था कि उन्हें डॉक्टर, नर्स या किसी स्टाफ ने सूचना नहीं दी। उन्हें तो एनेस्थिसिया के एचओडी डॉ। एके वात्स्यायन ने कॉल कर मामला बताया। ऐसे में सवाल ये है कि इमरजेंसी में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, प्राइवेट गाड्र्स तैनात हैं। तो आखिर सुपरिटेंडेंट को क्यों नहीं बताया गया। और मामले की जानकारी होने के बाद भी सुपरिटेंडेंट ने इमरजेंसी में जाकर पूछताछ क्यों नहीं की। बल्कि वो अपराह्न करीब 3.45 में हॉस्पीटल से निकल गईं.

Posted By: Inextlive