15-20 कॉल डेली आती हैं एक कम्युनिटी किचन में

5 से 7 हजार लोगों का रोज खाना बनता है एक किचन में

4 से 10 गाडि़यां लगीं, हर जोन में खाना डिस्ट्रिब्यूशन में

- हाथ में थाली-कटोरी लेकर सुबह से ही लोग करते हैं खाने का इंतजार

- बस्तियों में रहने वाले बच्चे घर के बड़े लोगों को देते हैं हिम्मत

abhishekmishra@inext.co.in

LUCKNOW: सात साल का मुन्ना और उसका परिवार सुबह से भूखा था। उन्हें पता था कि थोड़ी देर में नगर निगम की ओर से उन तक खाना पहुंचाया जाएगा लेकिन भूख की आग को शांत करना बड़ों के लिए मुश्किल था, वहीं मासूम उन्हें ढांढस बंधा रहा था कि अम्मा परेशान न हो, नगर निगम वाले खाना लेकर आ रहे हैं। इसके बाद जैसे ही टीम खाना लेकर वहां पहुंची, वो मासूम कटोरी और थाली लेकर पहुंच गया। उसने मासूमियत से कहाकि अंकल, जल्दी खाना दे दो, अम्मा बहुत भूखी है। जबकि उस मासूम के चेहरे से साफ था कि वह भी बहुत भूखा है लेकिन उसने अपनी मां की भूख के आगे अपनी भूख दबा ली है।

चार से पांच पैकेट दिए

निगम टीम ने उसकी स्थिति भांपते हुए उसे चार लंच पैकेट दिए और वो मासूम तेजी से भागता हुआ घर चला गया। हां, घर के अंदर प्रवेश करने से पहले उसके चेहरे पर बिखरी मुस्कान ने निगम कर्मचारियों की मेहनत को सफल बना दिया।

सामने आती हैं ऐसे तस्वीरें

निगम के सभी आठ जोन में कम्युनिटी किचन चलाए जा रहे हैं और हजारों लोगों तक खाना पहुंचाया जा रहा है। खाना डिस्ट्रिब्यूट करने में लगे जोनल अधिकारियों और निगम कर्मचारियों के सामने रोज मासूम मुन्ना जैसे केस सामने आते हैं।

पहली प्राथमिकता बच्चों को

निगम की टीमें जब खाना बांटने बस्तियों में जाती हैं तो सबसे पहले बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो को खाना दिया जाता है। कई बार बच्चे 5 से 6 लंच पैकेट की डिमांड करते हैं, जिसे तुरंत पूरा किया जाता है।

एक घंटे में रिस्पांस

नगर निगम की सभी कम्युनिटी किचन में डेली 15 से 20 कॉल खाना भिजवाने को लेकर जोनल अधिकारियों के पास आती हैं। कॉल के आधार पर ही लंच पैकेट तैयार कराए जाते हैं और उन्हें उन लोगों तक पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया में करीब एक घंटा लग जाता है।

सूखे राशन की डिमांड

अब कई बस्तियों में सूखे राशन की अधिक डिमांड हो रही है। फूड पैकेट लेने के बाद करीब 60 फीसद लोग पूछ रहे हैं कि उन्हें सूखा राशन कब मिलेगा। जिन परिवारों को सूखा राशन दिया जा रहा है, उनकी लिस्ट बनवाने का काम शुरू कर दिया गया है।

बाक्स

यहां बने कम्युनिटी सेंटर

1- नगर निगम कल्याण मंडप, जियामऊ

2- आवास विकास कल्याण मंडप, मिनी स्टेडियम राजाजीपुरम

3- नगर निगम कल्याण मंडप, महानगर

4- एलडीए सामुदायिक केंद्र, विराटखंड, गोमतीनगर

5- नगर निगम कल्याण मंडप, आनंद नगर (सीएमएस के सामने)

6- एलडीए सामुदायिक केंद्र चौक (लोहिया पार्क)

7- आवास विकास सामुदायिक केंद्र ए ब्लॉक, इंदिरा नगर

8- नगर निगम कल्याण मंडप, औरंगाबाद (बंगलाबाजार रोड)

वर्जन जोनल अधिकारियों को (सबकी फोटो हैं)

खाना आते ही सब चाहते हैं कि उन्हें सबसे पहले खाना मिल जाए। हम बच्चों, बुजुर्गो और महिलाओं को पहले खाना देते हैं। बच्चे अगर कहते हैं तो उन्हें अतिरिक्त लंच पैकेट भी दिए जाते हैं।

दिलीप कुमार श्रीवास्तव, जोनल अधिकारी, जोन 3

सुबह से लेकर रात तक खाने के लिए कॉल आती हैं। कॉल आने के बाद एक घंटे के अंदर खाना पहुंचवा दिया जाता है। बच्चों को सबसे पहले खाना दिया जाता है।

राजेश सिंह, जोनल अधिकारी, जोन 4

जिन बस्तियों में रोज खाना पहुंचाया जा रहा है, वहां सुबह से लोग हमारा इंतजार करते हैं। खाना पहुंचते ही सभी के चेहरे पर खुशी छा जाती है।

सुभाष त्रिपाठी, जोनल अधिकारी, जोन 5

सुबह 8 बजे से किचन में जाकर खाना बनवाने लगता हूं। प्राथमिकता यही रहती है कि 12 बजे तक खाना बंट जाए। राधास्वामी सत्संग की ओर से 2700 और सैनियाल कैटरर्स की ओर से डेली 4 हजार फूड पैकेट दिए जाते हैं।

सुजीत श्रीवास्तव, जोनल अधिकारी, जोन 8

बोले जिम्मेदार

कम्युनिटी किचन में समय से भोजन बने और समय से जरूरतमंदों तक पहुंचे, यही हमारी प्राथमिकता है। फील्ड में अगर कोई भी निगम टीमों से अतिरिक्त फूड पैकेट की डिमांड करता है तो उसे निराश नहीं किया जाता है।

डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त

Posted By: Inextlive