तीन डॉक्टरों की टीम ने किया पोस्ट मार्टम, वन विभाग ने किया दाह संस्कार

हस्तिनापुर : समसपुर के जंगल में शिकार से मारे गये तीनों मोरों का शनिवार को तीन चिकित्सकों की टीम ने पोस्टमार्टम किया। वन कार्यालय के समीप जंगल में विभागीय अधिकारियों ने राष्ट्रीय पक्षी होने के चलते उनका दाह संस्कार अपनी निगरानी में कराया। मोरों की गर्दन की हड्डी शिकारी द्वारा लगाए गए शिकंजे में फंसने से टूटी थी।

यह है मामला

वन रेंज अधिकारी कल्याण सिंह ने बताया कि शुक्रवार को मारे गए मोरों का पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ। केके गुप्ता के नेतृत्व में तीन सदस्य चिकित्सकों की टीम ने शनिवार को पोस्टमार्टम किया। डॉ। विजय कर्णवाल व डॉ। जितेंद्र कुमार ने पशु चिकित्सालय पर पोस्टमार्टम किया। डॉ। केके गुप्ता ने बताया कि तीनों मोर नर थे और उनकी गर्दन की हड्डी टूटने के बाद सांस रुकने से मौत हुई है। जिससे स्पष्ट होता है कि तीनों मोर के गर्दन की हड्डी शिकारी द्वारा बरामद खटके (शिकंजे) में फंसने से टूटी है। तीनों मोर की उम्र लगभग 4 से 5 वर्ष थी। वाइल्ड लाइफ विभाग में भी इसको लेकर हड़कंप मचा है और विभाग इसे इस ²ष्टि से भी देख रहा है कि कहीं मोर का शिकार कर इसकी तस्करी न की जा रही हो। शिकारी को एसीजेएम की अदालत में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

इन्होंने कहा

अलीगढ़ मुस्लिम विवि के वन्य जीव विज्ञान के सीनियर प्रोफेसर डा। अफीफुल्ला खान ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार को वन्य जीव विहार के संरक्षण के बारे में योजना बनाकर पत्र भेजा था। जिसमें उन्होने सुझाव दिया था कि जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए सामाजिक वानिकी पर जिम्मेदारी न देकर अलग विभाग होना चाहिए। इसमें पर्याप्त स्टाफ की तैनाती हो और वन्य जीव विहार की अलग से वाइल्ड लाइफ डिवीजन हो। विभाग द्वारा जो भूमि अधिग्रहण की गई है भूमि पर जो लोग कब्जा कर रहे है उनसे मुक्त कराकर जीवों के संरक्षण के लिए खाली छोड़ देना चाहिए।

मोर की आबादी बढ़ने से अधिक हो रहा शिकार

विभागीय अधिकारियों का मानना है कि पिछले कुछ साल में मोर की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। हो सकता है कि यही कारण हो कि शिकारी मोर को अपना शिकार बना रहे हो।

इनमें नहीं तालमेल

कानूनन मोर के शिकार के दोषी व्यक्ति को वन्य जीव अधिनियम में कड़ी सजा के प्रावधान है, लेकिन वन विभाग और पुलिस में सामंजस्य न हो पाने से अवैध शिकार करने पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

मोर की तीन प्रजातियां

भारत तथा श्रीलंका में पाया जाने वाला नीला या भारतीय मोर, म्यांमार में मिलने वाला हरा या जावन मोर (पि.म्यूटिकस) तथा अफ्रीका के कांगो में मिलने वाला कांगो मोर होता है।

Posted By: Inextlive