Hyderabad Encounter हैदराबाद में 26 साल की महिला डाॅक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले चारो आरोपियों का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया है। इसपर मेनका गांधी शशि थरूर और सीताराम येचुरी ने सवाल उठा दिए हैं। आइये जानें उन्होंने क्या कहा है...

कानपुर। भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार को हैदराबाद में 26 साल की महिला डाॅक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले चारो आरोपियों के एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं। मुठभेड़ की निंदा करते हुए मेनका गांधी ने कहा, 'जो भी हुआ है बहुत भयानक हुआ है इस देश के लिए। आप कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते, उन्हें (आरोपी) किसी भी तरह से अदालत द्वारा फांसी दे दी जाती। उन्होंने आगे कहा, 'अगर न्याय को ट्रिगर के माध्यम से परोसा जाएगा तो इस देश में अदालतों और पुलिस की क्या आवश्यकता है?'

BJP MP Maneka Gandhi on Telangana encounter: Jo bhi hua hai bohot bhayanak hua hai is desh ke liye, you cannot kill people because you want to. You cannot take law in your hands, they(accused) would have been hanged by Court anyhow pic.twitter.com/4in4sBMJDp

— ANI (@ANI) December 6, 2019


शशि थरूर का बयान
वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए हैं। शशि थरूर ने ट्वीट किया, 'सिद्धांत के हिसाब से सहमत हूं। हमें और अधिक जानने की जरूरत है, उदाहरण के लिए अगर अपराधियों के पास हथियार थे, तो पुलिस को फायरिंग के लिए उचित ठहराया जा सकता है।'

Agree in principle. We need to know more, for instance if the criminals were armed, the police may have been justified in opening fire preemptively. Until details emerge we should not rush to condemn. But extra-judicial killings are otherwise unacceptable in a society of laws. https://t.co/BOMOjCYrb1

— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 6, 2019
सीताराम येचुरी ने उठाया सवाल
वामपंथी दल सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि गैर-न्यायिक हत्या महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर चिंताओं का जवाब नहीं हो सकता है। न्याय कभी प्रतिशोध नहीं हो सकता। 2012 के दिल्ली अपराध को ठीक से लागू नहीं करने के बाद महिलाओं की सुरक्षा पर सख्त कानून क्यों बनाया गया है?

How we must secure the lives and dignity of each of our citizens, must be what civilised societies are about. Justice can never be retribution. Why is the tough law put in place on the safety of women after the 2012 Delhi crime not being implemented properly? https://t.co/i95Ia0SwQc

— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) December 6, 2019


सोशल एक्टिविस्ट ने भी उठाया सवाल

वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता वृंदा अदिगे ने शुक्रवार को इस मुठभेड़ की निंदा की और कहा कि पुलिस की कार्रवाई 'अस्वीकार्य' है और लोकतंत्र इस तरह से काम नहीं करता है।& उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करता है, तो उन्हें घुटने के नीचे आरोपी को मारना चाहिए। उन्होंने सवाल पूछा, 'क्या पुलिस ने अपने मैन्युअल को फॉलो किया?'

Posted By: Mukul Kumar