यौन उत्पीडऩ की शिकार हुई ट्रेनी आईएएस अधिकारी ने व्यवस्था पर उठाए सवाल और बयान के दौरान हुई पीड़ा को फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया।

औरत होने की सजा मिली
‘मैं केवल यही दुआ कर सकती हूं कि इस देश में कोई महिला के रूप में जन्म न ले। देश में महिला के रूप में जन्म लेना किसी गुनाह से कम नहीं है।’ यह दर्द मध्य प्रदेश कैडर की ट्रेनी आइएएस रिजु बाफना का है। यौन उत्पीडऩ की शिकार हुई इस अफसर ने कहा कि यहां तो हर शाख पर उल्लू बैठा है। केस दर्ज करवाने और बयान रिकॉर्ड करवाने के दौरान उन्होंने जो भोगा वह पीड़ा जस की तस फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर दिया। घंटों में ही वायरल हो गई इस पोस्ट को पढक़र सभी स्तब्ध हैं।
क्या है मामला
दरअसल, ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग के रूप में जबलपुर संभाग में सहायक कलेक्टर के रूप में तैनात हुई इस ट्रेनी आइएएस अफसर को मानवाधिकार आयोग द्वारा तैनात आयोग मित्र ने ‘अश्लील संदेश’ भेजे। पीडि़ता ने उसके खिलाफ मामला दर्ज करवाया। फिर जब वह न्यायालय पहुंची तो वहां उनके बयान एकांत में नहीं लिए गए। पीडि़ता ने अपनी दुख की वजह बताते हुए कहा कि जब अपना बयान दर्ज कराने मैं अदालत पहुंची तो कक्ष में एक वकील भी मौजूद थी। इतने लोगों के सामने बयान देने को लेकर मैं असहज महसूस कर रही थी, इसलिए मैंने उस वकील और दूसरे लोगों को वहां से जाने की गुजारिश की। इसके बाद वकील ने चिल्लाते हुए उन्हें कहा, ‘आप अपने ऑफिस में ऑफिसर होंगी, अदालत में नहीं।’  ‘जब मैंने न्यायिक मजिस्ट्रेट से कहा कि उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यौन उत्पीडऩ के मामले में जब कोई महिला अपना बयान दे रही हो तो वहां दूसरे लोग मौजूद न हों, तो उनका कहना था, आप युवा हैं और इसी वजह से ऐसी मांग कर रही हैं।’ एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के इस तरह के जवाब से आहत होकर उन्होंने फेस बुक पर लिखा है कि यह देश महिलाओं की दुर्दशा को लेकर ‘असंवेदनशील’ बना रहेगा। 

दूसरी पोस्ट में कहा किसी दर्द हद से बढ़ा तो हो गयी भावुक
इसके बाद देर रात रिजु ने अपनी वॉल पर फिर एक पोस्ट भेजी। जिसमें कहा कि उन्होंने आवेश में आकर काफी कुछ लिख दिया था जिसका उन्हें खेद है। इस देश और यहां के कानून पर उन्हें पूरा भरोसा है। रिजु ने कहा 'हमारे देश में महिलाओं को लेकर लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। मैं इस अनुभव से दो-चार हुई हूं। मैंने फेसबुक पर अपना दर्द बयां किया है'।

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Posted By: Molly Seth