Meerut : बॉलीवुड और मेरठ का पुराना रिश्ता है. इस एतिहासिक शहर ने फिल्म इंडस्ट्री को कई बड़े नाम दिए हैं. इसी सफर को आगे बढ़ा रहे हैं सेंट मेरियन और मशहूर एडवोकेट दाताराम सिंघल के पोते नितिन सिंघल. अपने परिवार की आईएएस बनने की परंपरा को तोड़ते हुए नितिन ने फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने का इरादा बनाया है. नितिन अपनी पहली फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में मेरठ और देहरादून आए थे. इसी मौके पर आई नेक्स्ट ने की खास बातचीत...


- स्कूलिंग कहां से हुई?मैंने फस्र्ट से हाईस्कूल तक सेंट मेरीज में और बाकी की पढ़ाई डीपीएस आरके पुरम दिल्ली से की। इसके बाद डीयू से हिस्ट्री में ऑनर्स किया। फिर एमबीए किया।- हिस्ट्री ऑनर्स फिर एमबीए और फाइनली फिल्म इंडस्ट्री ये मिस मैच कैसे?मुझे कुछ हट कर करने का शौक था। मेरी फैमिली में सभी आईएएस कैडर में हैं। सभी लोग चाहते थे कि मैं भी आईएएस बनूं, लेकिन मुझे ये जॉब शुरू से ही पसंद नहीं थी। पहले हलका विरोध हुआ, बाद में सब मान गए।- आईएएस सभी को पसंद होता है, फिर आपको पसंद क्यों नहीं?अब आईएएस की जॉब में पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस बहुत ज्यादा हो गया है। जिस कारण जॉब करना बहुत टिपीकल हो गया है। अब तो आईएएस और आईपीएस जॉब छोड़ कर वापस आ रहे हैं।- फिर इंडस्ट्री में एंट्री कैसे मिली?


मैंने एमबीए के लास्ट सेमेस्टर में सभी फिल्म मेकर्स को लेटर लिखना शुरू किया। किस्मत अच्छी थी। विधु विनोद चोपड़ा ने मेरे लेटर का जवाब दिया। वो किसी कार्यक्रम के सिलसिले में दिल्ली आए थे, तो उनसे मिलने का मौका मिल गया। आधे घंटे की बात में उन्होंने इंडस्ट्री की बारीकियों के बारे में जानकारी दी। मैंने पूछा क्या साथ काम करने का मौका मिलेगा, तो उन्होंने हां कर दी।- उनके साथ किन फिल्मों में काम किया?विधु विनोद चोपड़ा के साथ मैंने मुन्ना भाई एमबीबीएस और परिणिता में असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया। बाद में यशराज फिल्म की फना में भी काम किया।- आपको शुरू में कितनी सेलरी मिली?शुरू में सेलेरी अच्छी नहीं मिलती है। मुझे शुरुआत में पांच हजार रुपए महीना मिला। जो कि मुंबई में ना के बराबर है।- अपने स्ट्रगल के बारे में कुछ बताएं?शुरू में तो मैंने असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया। जब अपनी फिल्म बनाने की बात आई तो तीन से चार साल तक स्ट्रगल करना पड़ा। फिर मेरे दोस्त के थ्रु मुझे जयदीप चोपड़ा की ये फिल्म मिली। जिस पर अब काम चल रहा है।- ये दिन कैसे बीते?स्ट्रगल के वो तीन से चार साल बहुत मुश्किल से बीते। एक-एक दिन मुझे याद है। लेकिन इस बीच मेरी पत्नी और परिवार ने मेरा बहुत साथ दिया। तभी जाकर मैं इतने समय तक वहां टिक पाया।- इंडस्ट्री में आने वाले नए लोगों के लिए कुछ टिप्स?

फिल्म इंडस्ट्री में हर दिन नया होता है। यहां आपको बहुत संभलकर चलना होता है, क्योंकि भटकने में सिर्फ एक मिनट लगता है।

- अपनी कुछ फिल्म के बारे में बताएं?मेरी फिल्म का टाइटल माजी है। सुमित निझवान हीरो और मोना बासू हीरोइन हैं। सिर्फ इतना बता सकता हूं कि ये यूपी और उत्तराखंड पर बेस्ड है। फिलहाल प्रोडक्शन का काम हो चुका है। अब फिल्म पोस्ट प्रोडक्शन के लिए जाएगी। फिल्म अप्रैल में रिलीज होगी।

Posted By: Inextlive