भारत के पूर्व खिलाडी़ निखिल चोपड़ा ने बयान किए सचिन के साथ गुजारे हुए अपने कुछ कभी न भूलने वाले पल.


बात मानो कल की ही होबात पंद्रह साल पहले की है पर लगता है कि कल की हो. मन में दोहरी खुशी. एक तरफ टीम इंडिया में जगह मिलने की तो दूसरी ओर अपने चहेते क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से रू-ब-रू होने की. मन में डर के साथ हिचकिचाहट भी थी. पर क्रिकेट के भगवान ने सामने आते ही हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा 'आपका स्वागत है'. उनके अलफाज सुनते ही सारा डर दूर हो गया और मन बाग-बाग हो गया. इसके बाद तो चार साल तक उनके साथ खेलने का मौका मिला और काफी कुछ सीखने को मिला.क्रिकेट का युग हैं सचिन


सचिन तेंदुलकर सिर्फ नाम ही नहीं क्रिकेट का भी युग हैं. उनके साथ होने से ही मन में रोमांच भर जाता है. मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे क्रिकेट के भगवान के साथ खेलने का मौका मिला. पहली बार 1998 में मुंबई में सचिन तेंदुलकर से मिलने का मौका मिला. मेरा टीम इंडिया में चयन केन्या और बांग्लादेश के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज के लिए हुआ था. टीम में जगह मिलने से ज्यादा खुशी अपने हीरो सचिन से मिलने और उन्हें नजदीक से देखने की थी. M Fine सर

वह जैसे ही आए उन्हें मेरी ओर हाथ बढ़ाते हुए कहा, आप कैसे हैं. कुछ देर के लिए तो विश्वास ही नहीं हुआ कि यह सचिन ही हैं. मैंने खुद को संभालते हुए कहा सर में ठीक हूं आप कैसे हैं. इस पर वह मुस्कुराए और बोले आप सब का स्वागत है. सचिन से वह मुलाकात मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल पल थी. उसके बाद मैं इंग्लैंड में 1999 में हुए विश्व कप में भी उनके साथ खेला.शायद ही कोई और कर पाताविश्व कप के दौरान उनके पिता का देहांत हो गया. उन्हें बीच में ही इंग्लैंड से स्वदेश लौटना पड़ा. हम जिंबाब्वे के खिलाफ मैच हार गए. उसके बाद हमारा मुकाबला केन्या से था. हमें हर हाल में वह मैच जीतना था. सभी को लगता था कि सचिन अब दोबारा मैच खेलने नहीं आएंगे. लेकिन वह न केवल वापस आए बल्कि नाबाद शतक भी लगाया और टीम को विजय दिलाई. उनकी जगह कोई और होता तो शायद ही ऐसा कर पाता. उसके बाद वह काफी भावुक हो गए थे. उन्होंने वह शतक अपने पिता को समर्पित किया था.टेनिस में भी नहीं मानी हार

सचिन क्रिकेट के साथ ही टेबल टेनिस के भी अच्छे खासे खिलाड़ी हैं. वे क्रिकेट की ही तरह टेनिस में भी कभी हार नहीं मानते. सचिन से सीखें जूनियर: जूनियर क्रिकेटर अगर मास्टर-ब्लास्टर की मेहनत, अनुशासन और समर्पण का सिर्फ दस प्रतिशत भी हासिल कर ले, तो उसे फलक पर चमकने से कोई नहीं रोक सकता.

Posted By: Subhesh Sharma