Kanpur: एक छोटे से कम्प्यूटर सेंटर से शुरुआत कर आज यूपी के कई डिस्ट्रिक्ट्स में एसेंट सेंटर खोलकर युवाओं को अच्छी एजुकेशन के साथ उनके टैलेंट को निखारने की दिशा में सुरजीत कौर वर्क कर रहीं हैैं. लेकिन सिर्फ यही उनकी मंजिल नहीं है.


प्लानिंग कर रही हैं

यूचर में वो एक शानदार कॉलेज ओपेन करने की प्लानिंग कर रही हैं। उन्होंने इसका तानाबाना भी बुन लिया है। अपने ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए वो तेजी से वर्क कर रही हैं। सुरजीत एक अच्छी मां होने के साथ ही साथ एक अच्छी पत्नी होने का दायित्व बखूबी निभा रही हैं। हालांकि सुरजीत का बचपन का ख्वाब कुछ और ही था। वो सिविल सर्विसेज के माध्यम से सोसाइटी की सेवा करना चाहती थीं। लेकिन, इससे पहले कि उनकी ये ख्वाहिश परवान चढ़ती, पैरेंट्स के प्रेशर में मैरिज कर ली। और फिर उनकी लाइफ चेंज हो गई। हालांकि, उन्हें इस सबका कोई मलाल नहीं है बल्कि वो मानती हैं कि वो अब और भी खुश हैं। सुरजीत एक अच्छी कुक हैं। उनकी कुकिंग का लोहा किस कदर लोग मानते हैं कि उनके बच्चों के स्कूल की टीचर्स व फ्रैैंड्स उनके बनाए स्नैक्स के कायल हैं। सुरजीत को बचपन से ही गिटार बजाने का शौक था। लेकिन, समाजसेवा के कार्यों के चलते उन्होंने अपने इस प्रिय शौक से भी समझौता कर लिया है। सुरजीत का मानना है कि आने वाला युग कम्प्यूटर का युग होगा। इसलिए अगर आज की जेनरेशन को कल के लिए जॉब रेडी करना है तो उन्हें कम्प्यूटर-लिटरेट बनाना होगा। इसके चलते वो इकोनॉमिकली वीक बच्चों को कम्प्यूटर ट्रेनिंग फ्री ऑफ कॉस्ट देती हैं।एक नजर---सुरजीत कौरबर्थ प्लेस: खीरी, लखीमपुरडेट ऑफ बर्थ: 9 जून 1972स्कूलिंग : आर्य कन्या इंटर कॉलेज, खीरी लखीमपुर ग्र्रेजुएशन: लॉरेटो कॉलेज, लखनऊएमबीए: इग्नूमैरिज: 30 सितंबर, 1992डिस्ट्रिक्ट में किया टॉपखीरी लखीमपुर के फेमस बिजनेसमैन सरदार बी सिंह की बेटी सुरजीत की शुरुआती एजुकेशन यहीं से हुई। सुरजीत पढ़ाई में शुरुआत से ही मेधावी रही हैं। ईयर 1988 में उन्होंने 12वीं क्लास में टॉप भी किया था.  सुरजीत ने बताया कि कंजरवेटिव फैमली से होने के बाद भी पैरेंट्स ने तालीम दिलाने में कोई परहेज नहीं किया। डिस्ट्रिक्ट में टॉप करने की वजह से पैरेंट्स ने ग्र्रेजुएशन के लिए लखनऊ के लॉरेटो कॉलेज में एडमिशन दिला दिया था।सिविल सर्विसेज में जाने का था सपना


समाज के लिए सेवा का भाव सुरजीत के मन में बचपन से ही था। इसी वजह से ग्र्रेजुएशन करने के टाइम से ही उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का मन बना लिया था। उन्होंने कंपटीशन की तैयारी भी शुरू कर दी थी। हालांकि, उस वक्त उनकी एज, सिविल सर्विसेज में अपियर होने के लिए 21 वर्ष की मिनिमम रिक्वॉयर्ड एज से कम थी। इसलिए वो पहली बार तो फॉर्म ही नहीं भर पाईं। इसके बाद जब तक उनकी एज अगली बार इस एग्जाम में बैठने की होती, पेरेंट्स ने मैरिज फिक्स कर दी।दिल की मत सुनो, शादी करोसुरजीत ने बताया कि उनके पिता ने तब एमबीए प्रोफेशनल गुरुशरन सिंह के साथ उनकी मैरिज फिक्स कर दी। जब सुरजीत ने सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन की बात  कही तो पेरेंट्स ने प्रेशर डाला और कहा, ‘ऐसा अच्छा दामाद बार-बार नहीं मिलेगा’। फिर क्या था। सुरजीत भी मैरिज के लिए राजी हो गईं। 30 सितंबर 1992 को उनकी मैरिज हो गई। मैरिज के बाद वो अपने पति गुरुशरन के साथ मुंबई चली गयीं, क्योंकि वो वहां पर नेस्ले इंडिया में जॉब कर रहे थे। इसके बाद गुरुशरन की जॉब पुणे स्थित कोलगेट पॉमोलिव में लग गई, और वो लेाग वहीं शिफ्ट हो गए।कानपुर तो आना ही था

फैमिली से दूर रह रहीं सुरजीत को पति की जॉब रास नहीं आ रही थी। इसके चलते उन्होंने पति पर कानपुर ही शिफ्ट होने के लिए प्रेशर बनाया। इसका मेन रीजन पति की बर्थ प्लेस कानपुर होना था। स्थितियों को भांप गुरुशरन सिंह ने कानपुर कूच करने का प्लान बना लिया और जॉब को ‘बॉय-बॉय’ कर दिया। यहीं से बिजनेस करने का प्लान शुरू हो गया। कम्प्यूटर सेंटर से इंस्टीट्यूट का सफरकानपुर सिटी आकर लाल बंगला एरिया में सुरजीत और गुरुशरन ने एक छोटे से प्लेस से अपना कम्प्यूटर सेंटर शुरू कर दिया। इस सेंटर को चलाने में सुरजीत ने दिन-रात मेहनत शुरू कर दी। मेहनत रंग लायी और एक साल बाद ही नया स्थान लेकर सेंटर को विस्तार देना शुरू कर दिया। ईयर 2000 में मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस से वोकेशनल कोर्स की ट्रेनिंग के लिए अप्रूवल मिल गया। ईयर 2002 में डिफेंस कॉलोनी चौराहा पर प्लॉट लेकर एसेेंट इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग बनायी और मैनेजमेंट के साथ-साथ आईटी रिलेटेड कोर्सेज शुरू कर दिए।बेस्ट सेंटर का खिताब मिलाइंस्टीट्यूट में ईयर 2009 तक सुरजीत कौर ने स्टूडेंट्स की क्लासेज ली हैैं। वो स्टूडेंट्स को इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी पढ़ाती थीं। अहम बात यह रही कि उन्होंने इग्नू से एमबीए की डिग्र्री ईयर 2009 में हासिल की। वो इतनी ढेर सारी जिम्मेदारियों का निर्वाहन बखूबी कर रही हैैं। इंस्टीट्यूट से अभी तक करीब 7 हजार प्रोफेशनल्स डिग्र्री लेकर निकल चुके हैैं। अहम बात ये है कि उन्हें सिक्किम मनिपाल यूनीवर्सिटी से बेस्ट सेंटर का एवार्ड ईयर 2009 से 2011 तक कांटीन्यू मिला है। फिर से ख्वाब सजाने की चाहत

पूर्व प्राइम मिनिस्टर अटल बिहारी बाजपेयी की ये पंक्तियां ‘हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा’ को आत्मसात करते हुए सुरजीत कौर ने फिर से नये सपने साकार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। अब उनकी तमन्ना है एक ऐसा कॉलेज खोलने की जहां पर स्टूडेंट्स को स्टडी का सारा मैटीरियल एक छत के नीचे मिल जाए। बीए के साथ बीसीए व बीएड का कॉलेज उन्नाव में स्टेब्लिश करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही ख्वाब हकीकत में बदल जाएंगे।सभी को खुश रखना हैसुरजीत को सभी की जरूरतों का ख्याल रखना बखूबी आता है। वो पति गुरुशरन सिंह की हर जरूरत का ख्याल रखना कभी नहीं भूलती। बेटे अनमोल व बेटी प्रबलीन को किस टाइम क्या चाहिए, इसका अंदाजा उन्हें हमेशा रहता है। वो एक अच्छी कुक भी हैं जिनकी बनायी डिशेेज की सभी तारीफ करते हैं। बच्चों की परवरिश के साथ साथ इंस्टीट्यूट की जिम्मेदारी को संभालना भी उनकी प्रॉयरिटीज में शामिल है।

Posted By: Inextlive