सोहा अली खान पिछले दिनों फूड प्वॉइजनिंग की वजह से अपने घर मुंबई में आराम फरमा रही थीं. उनका कहना है कि वह अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए ट्रैवल पर गई हुई थीं जहां उन्होंने बाहर का खाना खा लिया था जिससे वह ठीक फिल्म की प्रीमियर के दौरान बीमार हो गईं. बीमार होने की वजह से उन्हें वापस घर लौटना पड़ा.

सोहा बीते नवरात्रि और करियर की बातें करते वक्त अपने पुराने स्पार्क में वापस आती नजर आईं...
 
दो दिनों तक वेजिटेरियन रहने का वादा!
इंडियन फेस्टिवल के मूड पर सोहा का कहना था कि एक फैमिली के तौर पर हम सभी फेस्टिवल्स चाहे वह नवरात्रि हो या दुर्गा पूजा एक साथ सेलिब्रेट करते हैं. उन्होंने मुस्कराते हुए अंदाज में बताया कि इस साल कुणाल खेमू (सोहा के ब्वॉयफ्रेंड) की मॉम ने उन्हें फेस्टिवल के दौरान दो दिन के लिए पूरी तरह से वेजिटेरियन होने का प्रॉमिस भी दिलाया. अपने कोलकाता के दिन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि वह जब कोलकाता में दुर्गा पूजा अटेंड करती थीं तो वाकई उन्होंने इस फेस्टिवल को कलरफुल कपड़ों और बंगाली स्वीट्स वाला एक बड़े कार्निवॉल की तरह फील किया है. खुद को टैगोर फैमिली से जोड़ते हुए उन्होंने बताया, ‘मेरा परिवार प्यार और जोश से भरपूर था. हाल ही में अभी फिल्म के प्रमोशन के लिए जयपुर गई हुई थी तो डांडिया के लिए मौजूद भारी भीड़ और डिफरेंट कलर्स एक्सपीरिएंसेज को देखकर बहुत अच्छा लगा. इसके लिए मैं अपने को-स्टार सरमन जोशी का दिल से शुक्रिया अदा करती हूं कि उन्होंने न केवल मुझे डांडिया सिखाया बल्कि डांस से प्यार करना भी सिखाया.’

बंगाली बोल सकती हूं लेकिन फ्लूएंटली नहीं
अपने दिल्ली के दिनों को याद करते हुए वह बोली, ‘जब मैं दिल्ली में थी तब अपने घर पर उर्दू और हिंदी बोलती थी. हालांकि मैं बंगाली बोल सकती हूं लेकिन बहुत फ्लूएंटली नहीं. यहां तक कि मैंने दो बंगाली फिल्मों में भी काम किया है.’ अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए सोहा ने कहा, ‘जब मैं और सैफ कुछ शरारत करते थे तो मां हमेशा ही हमें बंगाली में फटकारना शुरू कर देती थी. तब मैं इसके अपोजिट बोलती थी कि लोग कैसे कहते हैं कि यह लैंग्वेज स्वीट होती है.’
जब मॉम से मिला कॉम्प्लिमेंट
अपनी लाइफ को याद करते हुए सोहा ने कहा, ‘मैं हमेशा से ही काफी जिद्दी रही हूं. मुझे यह बात बहुत पसंद आती है कि मेरी मां और मेरे भाई दोनों ही वेल नोन एक्टर्स हैं. लेकिन मैं अपनी खुद की पहचान बनाना चाहती हूं. मैं थैंकफुल हूं कि मैंने यहां पर अपनी लाइफ के नौ साल काफी हंसी-खुशी स्पेंड किए हैं. जब भी कभी मुझे किसी बात को लेकर डाउट होता था तो मॉम से आज भी एडवाइस लेती हूं. हालांकि मेरे डायरेक्टर्स रितुपर्णो घोष, तिग्मांशु धूलिया, सुधीर मिश्रा ने भी मुझे काफी सपोर्ट किया. मेरे लाइफ का मोस्ट मेमोरेबल रोल खोया खोया चांद का है जिसे मैं कभी भी नहीं भूल सकती हूं. यह मेरे लिए किसी कॉम्प्लिमेंट से कम नहीं था जब मेरी मॉम ने मुझसे कहा था कि मैंने अपने रोल के साथ जस्टिस किया है.’

मुझे देर रात की पार्टियां पसंद नहीं
सोहा के मुताबिक बहुत से लोग हैं जो उनका ख्याल रखते हैं, वह कहती हैं, ‘मैंने अपने पीछे कितने लोगों को मेरी देखभाल करते हुए देखा है जिन्होंने हमेशा ही साथ दिया है. मैं हमेशा दो घंटों में खाना खाती हूं. जिसमें मेरे स्टाफ ने मेरी काफी हेल्प की है. मेरे हेयरड्रेसर न केवल मुझे हेड मसाज देते थे बल्कि मेरे लिए बेहतर खाना भी अरेंज कराते थे.’ पार्टियों के बारे में सोहा कहती हैं, ‘मैं कभी भी पार्टी पर्सन नहीं रही हूं. मुझे देर रात की पार्टियां कभी भी पसंद नहीं आईं. ज्यादातर पार्टी रात के 11 बजे शुरू होती हैं. यहां तक कि मुझे देर रात शूटिंग करना भी कभी पसंद नहीं रहा. मैं हमेशा अपने होटल के रूम में दस बजे तक पहुंच जाती थी.’

Posted By: Kushal Mishra