RANCHI: झारखंड के सीनियर आईएएस अधिकारी केके खंडेलवाल ने छह बच्चों को आईआईटी की राह दिखाई है। दिन-रात मेहनत कर फ्री में कोचिंग दी, जिसकी बदौलत इन सभी बच्चों को कोर आईआईटी में सीट मिलने की उम्मीद जताई है। उन्होंने बताया कि मैंने इन छात्रों द्वारा परीक्षा में दिए गए आंसर की समीक्षा की है। इसके बाद सभी छह छात्रों को कोर आईआईटी में प्रवेश मिलने की उम्मीद जताई है। वह शनिवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर रहे थे। गौरतलब हो कि जेईई एडवांस का एग्जाम ख्क् मई को हुआ था, जिसमें ये सभी छह बच्चे शामिल हुए थे।

फ् बच्चे अंडर भ्00 रैंक में

श्री खंडेलवाल ने बताया कि जेईई एडवांस का एग्जाम बच्चों ने दे दिया है, उनका आंसर भी जारी कर दिया गया है। इस आधार पर तय है कि छह में से एक यश राज को ऑल इंडिया रैंक अंडर क्00 आएगा। अर्णय आर्यमन व मयंक कुमार को ऑल इंडिया रैंक अंडर भ्00 के अलावा अमितांशु कुमार, राय अपूर्वनाथ व मयंक कुमार मीणा को ऑल इंडिया रैंक अंडर क्भ्00 आएगा। यह कैलकुलेशन बच्चों द्वारा लिखे गए एग्जाम और आंसर सीट का मिलान करने के बाद किया गया है। उन्होंने बताया कि इन सभी छह बच्चों को कोर आईआईटी कॉलेज मिलने तय हैं।

केवीआईपी में भी भ् बच्चे सेलेक्ट

उन्होंने बताया कि इन छह में से पांच बच्चों ने किशोर विज्ञान प्रोत्साहन योजना ख्0क्7 में भी सफलता पाई है। इस एग्जाम में पास करने वाले बच्चों को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में सीधा एडमिशन मिलता है।

बेटे अनुपम को मिला था नौंवा रैंक

उनके दो बेटे अंकुर खंडेलवाल और अनुपम खंडेलवाल ने आईआईटी में अच्छा रैंक लाया था। अनुपम खंडेलवाल को ऑल इंडिया नौंवा व अंकुर खंडेलवाल को भ्70वां रैंक मिला था। वहीं, उन्होंने अपने भांजे अनिकेत खंडेलवाल को भी पढ़ाया था, जिसे ऑल इंडिया रैंकिंग भ्म् वां स्थान मिला।

दो साल लगातार मेहनत की

श्री खंडेलवाल कहते हैं कि क्0वीं पास करने वाले इन छह बच्चों को ख्0क्भ् में आईआईटी की तैयारी कराने का निर्णय लिया। मैथ्स और फिजिक्स की तैयारी पूरे दो साल तक करवाई। बच्चों को सही तरीके से गाइड करने के लिए लगातार मेहनत किया। हर सप्ताह टेस्ट लेकर उनकी कमियों को दूर किया। ख्0क्7 में सभी छह बच्चे जब पूरी तरह तैयार हो गए, तो उन्हें परीक्षा में बैठाने का निर्णय लिया और सभी बच्चे अच्छा रैंक स्कोर कर रहे हैं।

सप्ताह में क्0 घंटे दिया समय

केके खंडेलवाल अपने बच्चों को आईआईटीयन बनाने के लिए नौकरी से भी कुछ दिन की छुट्टी लेकर पढ़ाते रहे। वह कहते हैं कि नौकरी के कारण व्यवस्तता अधिक रहती है, लेकिन सैटरडे और संडे को बच्चों को पढ़ाते हैं। शाम में भी सात बजे के बाद बच्चों को पढ़ाते हैं। मेरा टारगेट रहा कि इन बच्चों को सप्ताह में दस घंटे का समय दिया जाए, ताकि इनका कोर्स कंप्लीट हो जाए।

खुद भी रह चुके हैं आईआईटीयन

केके खंडेलवाल खुद भी आईआईटीयन रह चुके हैं। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से किया है। गिरिडीह जिले के रहने वाले केके खंडेलवाल अपने जिले के पहले आईआईटीयन थे, सरकारी स्कूल में पढ़कर उन्होंने आईआईटी कंप्लीट किया था। उन्होंने बताया कि ख्0क्क् में मैने खुद से पहले पढ़ाई की उसके बाद अपने बच्चों को पढ़ाया।

Posted By: Inextlive