RANCHI : दस सालों से पाकिस्तान के करांची स्थित शेल्टर होम में रह रही अपनी गीता (23 ) को झारखंड वापस लाने की कवायद तेज हो चली है। करांची से लेकर रांची तक के कई सामाजिक कार्यकर्ता, मानवाधिकार कार्यकर्ता और एनजीओ इस बाबत फेसबुक, व्हाट्स एप ग्रुप व अन्य सोशल नेटवर्किग साइट्स पर अभियान चला रहे हैं। इसके तहत गीता के बारे में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है और पाकिस्तान के एक्शन एड टीम व एनजीओ के साथ संपर्क साधा जा रहा है। इतना ही नहीं एक तरफ उससे जुड़ी तमाम जानकारियां शेयर किए जा रहे हैं तो लोग दुआ भी कर रहे हैं, ताकि अपनों से बिछड़कर पाकिस्तान पहुंची गीता की सकुशल वापसी हो सके।

गीता के नोट किए जा रहे शेयर

दीया सेवा संस्था के बैद्यनाथ कुमार ने बताया कि पाकिस्तान के एक्शन एड टीम के जरिए गीता के लिखे नोट्स मंगवाए गए हैं, लेकिन जिस लैंग्वेज में ये नोट्स हैं, उसे समझने वाला कोई व्यक्ति अबतक नहीं मिला है। उसके नोट्स झारखंड के अलावा तेलंगाना, राजस्थान और महाराष्ट्र के एनजीओ के साथ शेयर किए गए हैं। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक गीता के बारे में जानकारी देना है, ताकि उससे जुड़ी कोई और अहम जानकारी सामने आ सके।

एक्शन एड टीम ने भेजे हैं नोट्स

मानवाधिकार कार्यकर्ता शेषनाथ वर्णवाल ने बताया कि एक्शन एड की टीम की मुलाकात गीता से हुई है। इस टीम ने गीता के नोट्स को समझने के लिए झारखंड भेजे हैं। कुछ लोगों ने उस नोट्स को मुंडारी भाषा में लिखे होने की बात कही। ऐसे में उसे मुंडारी भाषा के एक्सपर्ट को दिखाया गया, पर वे भी इसे पढ़ पाने में असफल रहे। अब ये नोट्स तेलांगना समेत कई राज्यों में भेजे गए हैं।

लोकल लैंग्वेज के जानकार की मदद

एक्शन एड टीम, पाक की टीम ने गीता के जो नोट्स भेजे हैं, उसे एक तरफ सोशल नेटवर्किग साइट्स पर शेयर किया जा रहा है तो दूसरी तरफ उसे पढ़ने-समझने के लिए लोकल लैंग्वेज के एक्सपर्ट की भी मदद ली जा रही है। मंगलवार को मुंडारी भाषा के जानकार को नोट्स दिखाया गया, पर सफलता नहीं मिली। अब झारखंड के अन्य लोकल लैंग्वेज के जानकारों को ये नोट्स दिखाए जाएंगे, ताकि उसमें लिखी बात मालूम चल सके।

Posted By: Inextlive