पुलिस में रोज आ रही है फर्जी जमानतियों की शिकायत

Meerut। पुलिस के मुताबिक थानों में फर्जी वेरिफिकेशन के 20 से 30 मामले रोज पकड़े में आ रहे हैं। इस पर एसएसपी राजेश कुमार पांडेय का कहना है कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी बंदी की जमानत देने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन में फर्जी कागजात लगाता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।

जमानत का नियम

किसी भी आरोपी को जेल से छुड़ाने के लिए न्यायालय के सामने एक निश्चित संपत्ति जमा की जाती है या जमा करने की प्रतिज्ञा ली जाती है। इसे प्रतिभूति या बेल बांड भी कहते हैं। साथ ही एक व्यक्ति जमानती बनाया जाता है। एक व्यक्ति एक मामले में एक ही आरोपी को जमानत दे सकता है। उत्तर प्रदेश में जमानती के साथ-साथ शिनाख्ती देने का भी नियम है। शिनाख्ती ही बताता है कि वह जमानती को जानता है और जमानती एक जिम्मेदार व्यक्ति है। अगर आरोपी भाग जाए तो जमानती उसे पकड़कर लाने में सक्षम है। जैसे ही आरोपी का वकील यह सारी प्रक्रिया पूरी करता है, न्यायालय आरोपी की रिहाई के लिए परवाना जेल को परवाना जारी कर देता है। जेल में परवाना मिलते ही बंदी की रिहाई कर दी जाती है।

ऐसे होती है खेल

वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी सिंह के मुताबिक कोर्ट जमानती के कागजों का तहसील व पुलिस से वेरिफिकेशन जरूरत कराती है। दोनों जगह से सही रिपोर्ट मिलने पर ही कोर्ट जमानत स्वीकार करती है। इस पूरी प्रक्रिया में खेल तब होता है जब कागज संबंधित थाने और तहसील पहुंचते हैं। यहीं आरोपी का अधिवक्ता कुछ ले देकर फर्जी जमानतियों के कागजों का वेरीफिकेशन कराकर जांच रिपोर्ट कोर्ट भिजवा देता है। रिपोर्ट मिलते ही कोर्ट जमानती को सही मानते हुए बंदी को रिहा करने के आदेश करता है। पुलिस का कहना है कि वेरिफिकेशन के लिए आए कागजों में आधार कार्ड, पहचान पत्र व मकान के कागज तक फर्जी मिलते हैं। कई आधार कार्ड में तो फोटो तक सहीं नहीं मिला है।

Posted By: Inextlive