- 04 डिपो से बरेली रीजन की संचालित हो रहीं हैं कुल 628 बसें

- 628 बसों की तुलना में 25 परसेंट ज्यादा दी जाएंगी टच स्क्रीन ई-टिकटिंग मशीनें

- 2015 में कंडक्टरों को उपलब्ध कराई गईं थीं ई-टिकटिंग मशीनें

- 100 बसों पर 75 ही ई-टिकटिंग मशीनें

- 30 परसेंट मशीनें खराब हो चुकीं

- रोडवेज बसों में कंडक्टर्स को दी जाएगी टच स्क्रीन ई टिकटिंग मशीन

- अब डेबिट और क्रेडिट दोनों ही कार्ड कर सकते हैं इस्तेमाल

बरेली : रोडवेज पैसेंजर्स के लिए अच्छी खबर है। अब आपके पास खुले पैसे नहीं हैं, या कैश नहीं है तब भी आप टिकट का भुगतान कर सकते हैं। जी हां, अब परिवहन निगम कैशलेस की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए ई-टिकटिंग मशीन की जगह टच स्क्रीन ई-टिकटिंग मशीन की व्यवस्था करने जा रहा है। अब रोडवेज बस में डेबिट और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकेगा। पेटीएम से भी पेमेंट किया जा सकेगा। कंडक्टर्स को दी जाने वाली यह मशीन मोबाइल के आकार में होगी।

मशीन में होगा फेस लॉकर

अब मशीन को कंडक्टरों के अलावा कोई दूसरा यूज नहीं कर पाएगा। कारण यह मशीन कंडक्टर के फेस दिखाने के बाद ही खुलेगी। इसके लिए टच स्क्रीन ई-टिकटिंग मशीन में फेस लॉकर सिस्टम लगाया जाएगा। इससे अब कोई गड़बड़ी होने पर कंडक्टर की ही जिम्मेदारी होगी

अब बदला जाएगा सॉफ्टवेयर

अब परिवहन निगम इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सॉफ्टवेयर बदलेगा। इसके पहले दो तरह की एमएसटी जारी की गई थी, जिसमें एक एमएसटी फिक्स रूट और दूसरी किसी भी रूट के लिए थी। इसके लिए स्मार्ट कार्ड की सुविधा यात्रियों को दी गई थी, लेकिन इस व्यवस्था को लागू करने के लिए नया सॉफ्टवेयर अपलोड किया जाएगा।

25 परसेंट ज्यादा होंगी मशीनें

यह टच स्क्रीन टिकटिंग मशीन बसों से 25 परसेंट ज्यादा होगी। ऐसे में बरेली रीजन में कुल 628 बसें संचालित होती हैं। जिसमें बरेली डिपो में 168 बस, रूहेलखंड डिपो में 187, बदायूं में 163 और पीलीभीत डिपो में 110 बसें शामिल हैं।

इस समय मशीनों की कमी

इस समय 100 बसों पर 75 ही ई-टिकटिंग मशीनें हैं, जिसमें 30 परसेंट मशीनें खराब हो चुकी हैं। जबकि 100 बसों पर 125 मशीनें होनी चाहिए। ऐसे में कंडक्टरों को जहां टिकट काटने में दिक्कत होती है, वहीं मौका मिलते ही वे निगम को चूना लगा देते हैं।

दो रीजन में मिलीं मशीनें

परिवहन निगम एक-एक रीजन को ये मशीनें उपलब्ध करा रहा है। विभागीय लोगों के मुताबिक यह मशीन गाजियाबाद और लखनऊ को उपलब्ध कराई गई है। जहां सॉफ्टवेयर को अपडेट किया जा रहा है।

2015 में आई थी मशीन

2015 में कंडक्टरों के काम करने की स्टाइल में बदलाव आया। उन्होंने ई-टिकटिंग मशीन से ही टिकट काटना शुरू किया, जिससे उन्हें आसानी होने लगी, लेकिन मशीनें न होने पर उन्हें मैनुअली टिकट काटने की भी सुविधा दी गई। इस व्यवस्था से वे टिकट काटने से बचते हैं। कारण मैनुअली टिकट काटने के बाद उन्हें एंट्री करनी होती है।

ज्यादातर मशीनें खराब हो गई हैं। इनकी जगह अब धीरे-धीरे सभी रीजन में टच स्क्रीन ई-टिकटिंग मशीन उपलब्ध कराई जा रही है। गाजियाबाद के बाद अब लखनऊ में यह मशीन दी गई है। जल्द ही ये मशीनें बरेली रीजन के लिए भी उपलब्ध कराई जाएंगी.-

एसके बनर्जी आरएम, बरेली रीजन

Posted By: Inextlive