-आईजीसीएल को नहीं मिली है राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता

-खिलाडि़यों के भाविष्य को लेकर उठ रहे सवाल

BAREILLY: जब भी कोई बड़े स्तर पर खेल टूर्नामेंट आयोजित किया जाता है, उससे इतनी उम्मीद तो जरूर की जाती है कि इससे खेल और खिलाड़ी दोनों में निखार आएगा। एक तरफ जहां स्थानीय स्तर पर उस खेल को बढ़ावा मिलेगा तो दूसरी तरफ स्थानीय खिलाडि़यों को अपने हुनर का तराशने के लिए एक प्लेटफॉर्म मिलेगा। स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में खेले जा रहे इंडियन ग्रामीण क्रिकेट लीग इन दोनों ही उद्देश्यों को पूर्ति करता नहीं दिखता। न तो यह खेल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का है और न ही इसमें प्रतिभाग कर रहे खिलाडि़यों को किसी भी स्तर पर पहचान मिल पाएगी। जबकि इस खेल के आयोजन में लाखों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है।

आईजीसीएल केवल राजनीतिक खेल बनकर रह गया है, जिसके माध्यम से आयोजनकर्ता और राजनेता निजी हित साधने में लगे हैं। खेल और खिलाडि़यों को संवारने की बजाय यह उनके साथ ही खिलवाड़ करता दिखाई दे रहा है। आयोजनकर्ताओं को दावा है कि इस खेल को वे राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाएंगे, जो खिलाड़ी इसमें प्रतिभाग करेंगे उन्हें नेशनल लेवल पर पहचान मिलेगी। उन्हें ऐसा प्लेटफॉर्म प्रोवाइड किया जा रहा है, जिसके माध्यम से हुनर में निखार आएगा और वे मेनस्ट्रीम खिलाडि़यों की श्रेणी में शामिल हो सकेंगे।

लाखों रुपए फूंके

आईजीसीएल के आयोजन में अब तक लाखों रुपए फूंके जा चुके हैं और धन का बेजा इस्तेमाल का क्रम बदस्तूर जारी है। इनॉग्रेशन में नेताओं का जमघट लगा। बॉलीवुड के सितारों की चकाचौंध रही। दूधिया रौशनी, खिलाडि़यों को ड्रेस समेत कई संसाधनों को प्रोवाइड कराने में रुपया पानी की तरह बहा दिया गया। आईजीसीएल के चेयरमैन डॉ। अनुराग भदौरिया खेल राज्य मंत्री हैं। ऐसे में खेल के आयोजन में कोई कमी न रह जाए, शासन प्रशासन ने भी पूरा अमला झोंक दिया है। समापन में तो खुद सीएम शिरकत कर रहे हैं। ऐसे में समापन समारोह भव्य तो होना ही है। एक अनुमान के मुताबिक कम-कम से इस आयोजन में 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। हालांकि आयोजनकर्ताओं ने खर्चो के बारे में कुछ भी कहने से बचते हुए पूरा खर्च निजी व चंदे के खाते से बताया।

गली क्रिकेट है यह

आईजीसीएल एक तरह से गली क्रिकेट है। टेनिस बॉल से मैच खेला जाता है। वह भी 15-15 ओवर के फॉर्मेट में। ऐसे खेल को न तो राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है और न ही इनमें प्रतिभाग करने वाले खिलाडि़यों के प्रदर्शन को मेनस्ट्रीम खेल के लिए मान्यता मिल सकेगी। कुल मिलाकर यह खेल महज राजनीतिक स्वार्थ साधने और इंटरटेनमेंट का माध्यम बनकर रह गया है। जितना धन इस खेल के आयोजन में खर्च हो रहा है उसका आधा भी मेनस्ट्रीम खेल के आयोजन में होता तो जरूर ही खेल और खिलाडि़यों को भी लाभ मिलता।

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राजनीति के खेल ने बिगाड़ी स्टेडियम की सूरत

आईजीसीएल अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। 8 अगस्त को इसका समापन है। जिसमें चीफ गेस्ट के रूप में स्वयं सीएम शिरकत कर रहे हैं। उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरे स्टेडियम के आउटफील्ड को बैरीकेडिंग से पाट दिया गया है। जगह-जगह गड्ढे खोद दिए गए हैं। स्टेडियम के ग्राउंड में खिलाड़ी तमाम खेलों की प्रैक्टिस करते हैं, लेकिन ग्राउंड की जो हालत हो गई है, उससे अब काफी समय तक यह प्रैक्टिस करने के लायक नहीं रहेगा।

आउटफील्ड को बैरीकेडिंग से पाटा

50 मीटर के ग्राउंड पर लीग खेला जा रह है। उसके बाहर की आउटफील्ड को पूरी तरह से बैरीकेडिंग से पाट दिया गया है। इससे सबसे ज्यादा एथलेटिक ट्रैक को नुक्सान पहुंचा है। हालांकि स्टेडियम के ट्रैक की हालत पहले से ही खराब थी, उपर से इस आयोजन ने इसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। स्टेडियम को एक राज्य स्तर के एथलेटिक्स चैंपियनशिप मेजबानी की उम्मीद थी, लेकिन जो ट्रैक की हालत हो गई है उससे तो मेजबानी मिलना अब मुश्किल लग रहा है।

कई गेम्स की नहीं कर पाएंगे प्रैक्टिस

ग्राउंड के आउटफील्ड में खिलाड़ी हैंडबॉल, क्रिकेट, ताइक्वांडो समेत कई खेलों की प्रैक्टिस करते हैं। लेकिन अब वे इन खेलों का प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। बैरीकेडिंग के लिए जगह-जगह ग्राउंड को खोद दिया गया है। हॉकी व फुटबॉल, क्रिकेट का नेट बदतर हालत में है। इस खेल के आयोजन में हुए खर्च में से थोड़ी सी भी रकम इन खेलों को संवारने के लिए इस्तेमाल करने की जहमत नहीं उठाई गई।

टेनिस क्रिकेट खेलने के लिए किसी प्रोफेशनल की जरूरत नहीं होती। आसान होने के चलते इसे हर कोई खेल सकता है। ऐसे में आईजीसीएल के जरिए इस खेल को बढ़ावा देने और पूरे देश में एक मुकाम तक पहुंचाने का उद्देश्य है।

- डॉ। अनुराग भदौरिया, खेल राज्य मंत्री और चेयरमैन, आईजीसीएल

Posted By: Inextlive