- प्राधिकरण द्वारा सीडैक से किया जा रहा है संपर्क

- एमडीए का 70 लाख रुपए का है प्रोजेक्ट

- पूरे शहर में 80 जगह लगाए जाने हैं सीसीटीवी कैमरे

Meerut : सिटी में हाईटेक और वायरलेस ट्रांसमीशन के कैमरे लगाने के प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। पहले तो जो कंपनियां प्रोजेक्ट लेकर आई थीं वो उतने स्टैंडर्ड की नहीं थीं। जब प्राधिकरण ने इसके लिए आईआईटी दिल्ली और रुड़की से संपर्क किया तो दोनों ने ही इस प्रोजेक्ट पर काम करने से इनकार कर दिया। वैसे प्राधिकरण ने अभी तक हार नहीं मानी है और वो दिल्ली की सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडैक) से संपर्क करने में जुट गया है। दोनों ओर से हुई टेलीफोनिक बातचीत में सकारात्मक परिणाम निकलकर सामने आए हैं। साथ ही प्राधिकरण की ओर से प्रारूप बनाकर भेज दिया है।

आखिर क्यों किया इनकार?

करीब आधा दर्जन कंपनियों की प्रजेंटेशन देखने के बाद प्राधिकरण अधिकारियों को कुछ दम नहीं लगा, तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी को चुना। अब आईआईटी दिल्ली और रूड़की दोनों ही ओर से इस प्रोजेक्ट के लिए इनकार कर दिया है। इनकार करने का कारण ये बताया जा रहा है कि ये प्रोजेक्ट आईआईटी के हिसाब से काफी छोटा है। आईआईटी के मना करने के बाद प्राधिकरण ने अब दल्ली की सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडैक) का दरवाजा खटखटाया है। उम्मीद की जा रही है इस प्रोजेक्ट को सीडैक ही करेगी। एजेंसी इस काम के लिए पूरी तरह से परफेक्ट है। दोनों अधिकारियों में बातचीत का सिलसिला जारी है। प्राधिकरण की ओर से सीडैक को प्रारूप बनाकर भेज दिया है।

किन चीजों पर सबसे ज्यादा फोकस?

- कैमरों का पिक्सल कितना होना जरूरी है?

- कितनी कैपेसिटी का रिमोट सेंसिंग लगाना है?

- उसकी कैरियर वेव कैपेसिटी कितनी होनी जरूरी है?

- एक कैमरे से दूसरे कैमरे के बीच कितनी दूरी होना जरूरी है?

- ग्राउंड लेवल से कितनी हाइट पर कैमरे लगाए जाएं?

कुछ इस तरह की हैं एमडीए की शर्ते

- जो भी कंपनी इस प्रोजेक्ट को हाथ में ले करीब पांच सालों तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ले।

- कंपनी से मेंटेनेंस गारंटी का एफिडेविट भी लिया जाएगा।

- फ्यूचर सिटी में इस प्रोजेक्ट को एक्सपेंड करने पर नए कैमरों को पुरानों के साथ कनेक्ट कर सके।

- हर रोज बदलती टेक्नोलॉजी को देखते हुए कंपनी उसे अपग्रेड भी करते हैं।

चार जोन और 80 कैमरे

- प्राधिकरण पूरी सिटी में 80 कैमरे लगाएगा।

- जिसके लिए सिटी को चार जोन में बांटा जाएगा।

- हर जोन में 80 कैमरे लगाएं जाएंगे।

- हर जोन एक सीओ ऑफिस को कंट्रोल रूम बनाया जाएगा।

- चारों जोन का एक हेडक्वार्टर डीआईजी ऑफिस होगा।

- इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 70 लाख रुपए रखी गई है।

ऐसे करेंगे कैमरे काम

- ये सभी कैमरे वायरलेस होंगे।

- सभी कैमरे रेडियो फ्रिक्वेंसी सिस्टम से काम करेंगे।

- वीडियो ट्रांसमीशन के जरिए इससे डाटा आसानी से ट्रांसफर हो जाएगा।

- इस सिस्टम के जरिए वायस और पिक्चर दोनों आसानी से ट्रांसफर हो जाएंगे।

- सभी कैमरों के ऊपर एंटीना लगाए जाएंगे, जो डाटा ट्रांसफर करने में मदद करेंगे।

हर मेन चौराहों के अलावा मुख्य जगहों पर भी

- सिटी के प्रमुख चौराहों लगेंगे कैमरे।

- सिटी के प्रमुख धार्मिक स्थलों के पास।

- सिटी की प्रमुख मार्केट के पास।

- ग‌र्ल्स कॉलेजों को भी किया गया शामिल।

- साथ ही ऐसी सड़कों पर भी कैमरे लगाने की व्यवस्था होगी जहां से चोरों को तेजी से भागने की जगह मिल जाती है।

आईआईटी से मना होने के बाद हमने सीडैक को अपना प्रारूप भेजा है। बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि वो हमारे प्रोजेक्ट पर इंट्रस्ट लेंगे। उन्होंने जयपुर में इसी तरह के प्रोजेक्ट को हाल ही में पूरा किया है।

- आईएस सिंह, चीफ इंजीनियर, एमडीए

Posted By: Inextlive