- शहर में दौड़ रहीं अवैध एंबुलेंस

- पुरानी गाडि़यों का भी अवैध तरीके से किया जा रहा यूज

- लाश वास्ते वाली गाडि़यों से भी ढोए जा रहे मरीज

GORAKHPUR: मरीजों की सुविधा के लिए चल रहे एंबुलेंस में जमकर खेल किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस की जांच से अघोषित छूट का फायदा उठाकर लोग जाली कागजों पर बिना रजिस्ट्रेशन के एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। जांच में तो यह भी पता चला है कि कई लोग पुरानी गाडि़यों को एंबुलेंस बनाकर धंधा कर रहे हैं। ये एंबुलेंस पर किसी नर्सिग होम का नाम तो लिखवा लेते हैं लेकिन दिखते वो सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के आसपास हैं। हालत यह है कि यहां सेट दलालों के जरिए इनका धंधा चमक रहा है और अधिकारियों की इसकी खबर तक नहीं है।

जहां की गाड़ी, वहीं की सवारी

आरटीओ से मिली जानकारी के मुताबिक, कोई भी अपनी गाड़ी को एंबुलेंस में कनवर्ट नहीं करा सकता है। ऐसे वाहन जो पूरी तरह हॉस्पिटल के स्वामित्व में हैं, उनका टैक्स माफ है। ये केवल उसी हॉस्पिटल के मरीज को इधर-उधर ले जा सकते हैं। वहीं जो केयर ऑफ में हॉस्पिटल का नाम डाले हुए हैं और अंडर चार्ज में वाहन मालिक का नाम है। इन्हें टैक्स जमा करना होता है।

360 में से 153 के कागज जाली

शहर में एंबुलेंस के नाम पर करीब 360 गाडि़यां आरटीओ में रजिस्टर्ड हैं। इन एंबुलेंस की जांच की गई तो 153 के कागजात ही जाली निकले। जिसके बाद आरटीओ दफ्तर में भी हड़कंप मच गया था। कुछ दिन तो खूब कड़ाई की गई लेकिन इसके बाद सब ठंडा हो गया।

मेडिकल कॉलेज में पकड़ी गई प्राइवेट एंबुलेंस

मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल ने बीते दिनों एक प्राइवेट एंबुलेंस को पकड़ा था। इसमें सरकारी एंबुलेंस से मरीज उतारकर बैठाया जा रहा था। रंगेहाथों प्राइवेट एंबुलेंस को पकड़कर प्रिंसिपल ने ड्राइवर के साथ पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने एंबुलेंस को सीज कर ड्राइवर को जमानत पर छोड़ दिया।

गोरखपुर में नहीं है लाश के वास्ते गाड़ी

गोरखपुर में लाश के वास्ते कोई गाड़ी आरटीओ में रजिस्टर्ड नहीं है। यहां एंबुलेंस से ही लाश और मरीज दोनों को ही ढोने का काम किया जाता है। लाश के वास्ते गाडि़यों का टैक्स माफ है जिसकी आड़ में भी कई गाडि़यां मेडिकल कॉलेज से फर्राटा भर रही हैं। हकीकत यह है कि अगर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के बाहर खड़ी एंबुलेंस के कागजात की जांच की जाए तो सब फर्जी मिलेंगे। यही नहीं चेकिंग की भनक होने पर सभी गाडि़यां गायब हो जाती हैं।

मानक का पालन नहीं करते एंबुलेंस

शहर में चल रहीं अधिकतर एंबुलेंस मानक का पालन ही नहीं करती हैं। इनमें न तो जरूरी उपकरण ही आपको मिलेंगे, न ही ट्रेंड ड्राइवर। लेकिन चेकिंग न होने के चलते ये एंबुलेंस लेकर बेखौफ फर्राटा भरते हैं।

पुरानी गाडि़यां नहीं बन सकतीं एंबुलेंस

आरटीओ के अनुसार एंबुलेंस पुरानी गाडि़यों में नहीं बनाया जा सकता है। एंबुलेंस की लिए ऑर्डर पर कंपनी स्पेशली गाड़ी मानक के अनुसार तैयार करती है। इन्हीं गाडि़यों को आरटीओ में परमिट भी मिलता है। इनके अलावा जो भी गाडि़यां हैं वो अवैध हैं।

आंकड़े

शहर में रजिस्टर्ड एंबुलेंस - 360

अवैध एंबुलेंस - करीब 50-60

वर्जन

जिस अस्पताल से एंबुलेंस अटैच होगी वहीं के पेशेंट को ही वो ढो सकती है। इसके अलावा अन्य जगहों से पेशेंट ढोना गलत है। ऐसा करते मिलने पर एंबुलेंस को सीज कर दिया जाएगा।

- श्याम लाल, आरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive