-केयू के टाटा कॉलेज चाईबासा में 2012-13 बैच में 30 एडमिशन फर्जी हुए, जांच हुई मामले सही पाए गए पर कोई एक्शन नहीं

-प्रिंसिपल ने कहा, पॉलिटिकल लीडर्स, कॉलेज के स्टाफ और हॉस्टल के स्टूडेंट्स के दबाव में लिया एडमिशन

-कई अन्य मामलों में जांच टीम बनी, जांच हुई लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया

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JAMSHEDPUR: कोल्हान यूनिवर्सिटी (केयू) में किस लेवल तक गड़बड़ी होती है और उसे कैसे दबा दिया जाता है इसका एक और एग्जामपल सामने आया है। टाटा कॉलेज चाईबासा में सेशन 2012-13 में बीएड में 30 एडमिशन फर्जी तरीके से लिए गए। उन सभी का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था। इसका पता चला तो मामले की जांच की गई। जांच टीम ने कॉलेज की प्रिंसिपल से सफाई मांगी। कॉलेज की प्रिंसिपल ने साफ लिख दिया कि कुछ पॉलिटिकल लीडर्स, कॉलेज के स्टाफ और हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स के प्रेशर में उन्होंने एडमिशन लिए। रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को सौंपी गई। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रिंसिपल को वार्निग देकर छोड़ दिया और मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया। गलत तरीके से एडमिशन लेने वाले सभी स्टूडेंट्स ने कोर्स कंप्लीट किया और एग्जाम भी पास कर चुके हैं। आई नेक्स्ट से बात करते हुए केयू के वीसी डॉ आरपीपी सिंह ने मामले को सही बताया।

किसके डर से एक्शन नहीं लिया गया?

किसी कॉलेज में बीएड कोर्स में 30 एडमिशन गलत तरीके से लिए जाते हैं और प्रिंसिपल साफ कह दे कि हां, ऐसा किया गया है। उसके बाद भी यूनिवर्सिटी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को बरी कर दे। आखिर ऐसा क्यों? सवाल यह है कि उन 30 स्टूडेंट्स के साथ हुए अन्याय के लिए कौन जिम्मेवार होगा जिनका नाम मेरिट लिस्ट में शामिल था। आखिर इतनी बड़ी गलती के लिए कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन माफी क्यों, कैसे और किसके प्रेशर में दी गई।

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केयू में बड़े मामलों की सिर्फ जांच चलती रहती है। जांच पूरी भी हो जाए तो उसपर कोई एक्शन नहीं लिया जाता। आइए जानते हैं कि किन मामलों की लंबे समय से जांच चल रही जबकि गड़बडि़यां बिल्कुल सामने दिख रही

वीमेंस कॉलेज : गड़बड़ी की िरपोर्ट ठंडे बस्ते में

सिटी स्थित वीमेंस कॉलेज में पिछले 8 सालों में बीएड एडमिशन में गड़बड़ी को लेकर लास्ट इयर तत्कालीन एक्टिंग वीसी और कोल्हान डिवीजन के कमिश्नर आलोक गोयल ने ट्रेनी आईएएस नेहा अरोड़ा के नेतृत्व में जांच टीम बनाई थी। टीम ने जांच पूरी कर रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को सौंप दी। पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। मामले को दबा दिया गया।

किताब घाेटाले में बेवजह देरी

वर्कर्स कॉलेज में करीब क्म् लाख की और को-ऑपरेटिव कॉलेज में लगभग ब्भ् लाख की किताबें किसने मंगवाई। किसने प्रिंसिपल का फर्जी सिग्नेचर कर यह कारनामा किया। दिल्ली स्थित एक पब्लिशर से किताबें मंगवाई गई थीं। गड़बड़ी सामने दिख रही है। बुक्स के पैकेट अभी भी पड़े हुए हैं, लेकिन जांच को बेमतलब लंबा खींचा जा रहा है।

को-ऑपरेटिव काॅलेज : एक्शन का इंतजार

को-ऑपरेटिव कॉलेज में सेशन ख्0क्ख्-क्फ् में बीएड में वैसे फ्क् कैंडीडेट्स से फीस के ड्राफ्ट जमा लिए गए थे जिनका नाम मेरिट लिस्ट में था ही नहीं। 8 लाख म्8 हजार रुपए का ड्राफ्ट जमा लिया गया था। मामले सामने आया तो उन फ्क् कैंडीडेट्स का एडमिशन नहीं लिया गया। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने कॉलेज के स्टाफ द्वारा ड्राफ्ट लिए जाने से इंकार कर दिया। यूनिवर्सिटी ने जांच टीम गठित की। जांच पूरी हो चुकी है। रिपोर्ट सौंप दी गई पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।

गलत तरीके से एडमिशन की बात सही, पर जांच में देरी हो गई थी

टाटा कॉलेज चाईबासा में बीएड में फर्जी एडमिशन और दूसरे मामलों में जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी एक्शन नहीं लिए जाने पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने केयू के वीसी डॉ आरपीपी सिंह से बात की। उन्होंने क्या कहा, आइए जानते हैं

सवाल - टाटा कॉलेज चाईबासा में ख्0क्ख्-क्फ् सेशन में बीएड में फ्0 एडमिशन गलत तरीके से लिए गए थे?

जवाब - हां, वहां एडमिशन गलत तरीके से हुए थे। हालांकि, उस समय मैं वीसी नहीं था। इसकी जांच भी कराई गई थी।

सवाल - क्या वहां के प्रिंसिपल ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखकर दिया था कि पॉलिटिकल लीडर्स, कॉलेज स्टाफ और हॉस्टल के स्टूडेंट्स के प्रेशर में एडमिशन लिए गए?

जवाब - हां, ऐसा ही कुछ उन्होंने लिखा था। जांच में देरी हो गई थी और तबतक स्टूडेंट्स अपना कोर्स कंप्लीट कर एग्जाम पास कर चुके थे।

सवाल - इतना बड़ा मामला था, यूनिवर्सिटी ने एक्शन क्यों नहीं लिया?

जवाब - देरी हो जाने की वजह से कुछ कर नहीं सकते थे। वहां के प्रिंसिपल को वार्निग दी गई थी कि आगे से ऐसा हुआ तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

सवाल - को-ऑपरेटिव कॉलेज में भी ख्0क्ख्-क्फ् सेशन में बीएड में फर्जी एडमिशन के लिए फ्क् कैंडीडेट्स से ड्राफ्ट लिए जाने का मामला था, उसपर जांच भी पूरी हो चुकी है पर कोई एक्शन क्यों नहीं?

जवाब - जांच रिपोर्ट मिली है और यूनिवर्सिटी लेवल पर उसपर काम हो रहा है जो अंतिम चरण में है। गलत करने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

सवाल - वर्कर्स और को-ऑपरेटिव कॉलेज में किताब घोटाला सामने आया। लाखों के किताब गलत तरीके से कॉलेज पहुंचाए गए। इसपर क्या हुआ?

जवाब - इसकी भी जांच कराई गई है। यह भी अंतिम चरण में है और बहुत जल्दी सच्चाई सामने होगी और एक्शन लिया जाएगा।

Posted By: Inextlive