आवास विकास ने बिजली कनेक्शन काटने के लिए शुरू किए प्रयास

अधिकारियों ने बिजली विभाग को लिखा पत्र, अभी तक नहीं आया जवाब

Meerut। आवासीय प्रॉपर्टी में कमर्शियल एक्टिविटी रोकने में नाकाम आवास विकास ने अवैध रूप से चल रही कमर्शियल एक्टिविटी के खिलाफ नई जुगत लगाने की कोशिश कर रहा है। विभाग की प्लानिंग है कि जिन आवासीय प्रॉपर्टी में कमर्शियल एक्टिविटी चल रही है, उनका बिजली कनेक्शन कटवा दिया जाए। इसके लिए बिजली विभाग से पत्राचार भी शुरू किया गया है। प्लान फाइनल होने पर पुलिस मांगी जाएगी और दोनों विभाग मिलकर अभियान चलाएंगे।

क्या है मामला

आवास विकास और बिजली विभाग की लापरवाही के चलते शहर में अवैध भवनों का कारोबार जमकर फलफूल रहा है। दीपावली पर शहर मे सैकड़ों की संख्या में ऐसे भवन रोशनी से जगमगाते दिखे जिनको खुद आवास विकास ने अवैध घोषित कर एफआईआर तक दर्ज कराई हुई है। जबकि यूपी नगर विकास अधिनियम के अनुसार अगर भवन अवैध है और उसका कामर्शियल नक्शा स्वीकृत नही है तो उसको विद्युत कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। इस नियम को दरकिनार कर शहर में अवैध भवनों को बिजली कनेक्शन जारी किए गए हैं।

सैकड़ों भवनों पर एफआईआर

आवास विकास के रिकार्ड में सैकड़ों ऐसे अनाधिकृत भवन है जो मानकों को ताक पर रखकर बिना नक्शे के बनाए गए हैं या फिर जिनका प्रयोग आवासीय क्षेत्र में व्यवसायिक तौर पर हो रहा है। ऐसे में शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट अपने आप में सबसे बढ़ा उदाहरण है जिसके अवैध निर्माण को गिराने तक को लेकर कई बार हंगामे हो चुके हैं और मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन इसके बावजूद आज तक इनके बिजली कनेक्शन नहीं काटे गए हैं।

सीलिंग के बावजूद रोशन हुए शोरूम

वहीं दो वर्ष पहले तत्कालीन कमिश्नर प्रभात कुमार के आदेश पर आवास विकास ने अभियान चलाकर शास्त्रीनगर, जागृति विहार, मंगल पांडेनगर और माधवपुरम में 27 से अधिक भवनों पर अवैध निर्माण के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। आवास विकास द्वारा इनमें से कई भवनों पर सील भी लगाई गई और अवैध निर्माण का कुछ हिस्सा तोड़कर कार्रवाई भी की गई, लेकिन बावजूद इसके निर्माण जारी रहा और साल भर बाद इस दीपावली बिजली कनेक्शन मिलने के बाद शोरूम का संचालन तक शुरु किया जा चुका है। जबकि नगर विकास अधिनियम 1973 और यूपी विद्युत प्रदान संहिता 2005 के अनुसार अवैध भवन के कामर्शियल कनेक्शन के लिए नक्शा स्वीकृत होना जरुरी है।

बढ़ रहे अवैध भवन

आवास विकास के आंकड़ों पर नजर डालें तो शहर में अवैध भवनों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। इसमें सबसे अधिक आवासीय क्षेत्र में व्यवसायिक निर्माणों की संख्या है। इनमें से अधिकतर पर केवल नोटिस भेजने तक ही कार्यवाही आवास विकास द्वारा की गई।

53- बैंक

31- स्कूल

30- नर्सिग होम

19- बैंक्वेट हाल

172- शोरूम

अधिकतर भवनों को कमर्शियल कनेक्शन जारी किया जाता है। जबकि नगर विकास अधिनियम 1973 के अनुसार अवैध निर्माण को कमर्शियल कनेक्शन नहीं दिया जाना चाहिए। इन भवनों के कनेक्शन की जांच कराकर विद्युत विभाग द्वारा हटाने का प्रयास किया जाएगा।

देवेंद्र कुमार, एई आवास विकास

Posted By: Inextlive