PATNA: शराबबंदी के बाद भी पटना में नशा करने वालों की संख्या लगातार बढ़ ही रही है। यूथ नशा के लिए अब शराब नहीं बल्कि नशीली दवाएं ले रहे हैं। शहर के कुछ दवा दुकानदार मुनाफा कमाने के लिए बिना किसी पूछताछ के धड़ल्ले से युवाओं को नशीली दवा बेच देते हैं। इस वजह से नशे के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं आसानी से मिल रही हैं। दवा कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि शराबबंदी के बाद नशीला दवाओं की खपत बढ़ गई है।

बिना मेडिकल प्रेस्क्रिप्शन दे रहे दवा

आम दवा के लिए और नशीली दवा जिसका प्रयोग कैंसर, अचूक दर्द निवारक और मानसिक रोगों में व्यापक तौर पर होता है, वे सभी के लिए एक अलग से लाइसेंस जारी होता है। लेकिन पटना के किसी भी मेडिकल स्टोर के पास इसके लिए संबंधित लाइसेंस जारी किया गया हो, ऐसा नहीं है। इस बात की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उपलब्ध ऑनलाइन डाटा से की जा सकती है। ऑनलाइन डाटा से पता चलता है कि अधिकांश दवा दुकान आम दवा बिक्री के लिए लाइसेंस प्राप्त हैं न कि नशीली दवा के लिए। लेकिन फिर भी दवा की बिक्री की जा रही है। हाल ही में रेप कांड के मामले में बोरिंग रोड स्थित दवा दुकान द्वारा नशीली दवा उपलब्ध कराने का मामला प्रकाश में आ चुका है। बिना किसी मेडिकल प्रेस्क्रिप्शन के ही दवा दी गई थी।

नियमों को नहीं मान रहे दवा दुकानदार

एक ओर जो दवाएं नारकोटिक्स और साइकोट्रापिक ड्रग की श्रेणी में आते हैं लेकिन वे फार्मेसी के नियमों के अनुसार शेड्यूल एक्स और एक्स वन में नहीं आते हैं उसके लिए भी नियम है। स्वंय ड्रग डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि ऐसे दवाओं की बिक्री के लिए यह जरुरी है कि दवा दुकानदार के पास 20 बी और 21 बी का लाइसेंस हो तब भी संबंधित दवा डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन पर ही बेचने का नियम है। यह रिटेलर और होलसेलर दोनों पर लागू है। लेकिन पटना में बिना प्रेस्क्रिप्शन के ही दवा दी जा रही है।

शिकायत मिली तो होगी कार्रवाई

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने ड्रग डिपार्टमेंट से यह पूछा कि क्या दवा दुकानों पर औचक निरीक्षण या छापेमारी कर इसकी पड़ताल की जाती है। इस बारे में एक वरीय अधिकारी ने बताया कि जब शिकायत होती है जब जरुर कार्रवाई की जाती है। हालांकि यह पुष्टि नहीं की गई कि दवा दुकानों पर खुद विभाग इसकी जांच कर रहा है।

पटना में 15 ऑफिसर के जिम्मे ड्रग की जिम्मेदारी

ड्रग डिपार्टमेंट से मिली सुचना के अनुसार पटना जिला में 12 ड्रग ऑफिसर हैं और तीन असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर तैनात हैं। ये सभी ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट के सभी प्रोविजन को देखने के लिए, फॉलो-अप के लिए दवा दुकानों पर निगरानी रखते हैं। यदि मेडिकल स्टोर के लाइसेंस की बात करें तो पता चलता है कि फार्म 20 बी और 21 बी के तहत ही अधिकांश दुकान संचालित है। नियम के तहत जिनके पास 20 एफ और 20जी के तहत लाइसेंस प्राप्त है, केवल वे ही शेड्यूल एक्स और एक्स वन की दवाएं रख और बेच सकते हैं।

कोट

ड्रग डिपार्टमेंट इस मामले को लेकर सतर्क है। जब और जहां से भी शिकायत मिलती है, नियमानुसार त्वरित कार्रवाई की जाती है और समस्या दूर की जाती है।

- रविंद्र कुमार, बिहार स्टेट ड्रग कंट्रोलर

Posted By: Inextlive