AGRA: आ‌र्म्स एक्ट की धाराएं पुलिस के बचाव का पर्याय बन चुकी है। इस एक्ट के तहत लगने वाली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पुलिस अपनी साख बचा भी लेती है और पब्लिक तथा पुलिस के आला अधिकारियों की नजर में अपनी साख बना भी लेती है। जबकि अंदरखाने की खबर ये है कि पुलिस धाराओं की बाजीगरी का खेल इसलिए खेलती है, क्योंकि उसे अपराधी किस्म के अपने चहेतों को बचाना होता है और अपना गुडवर्क दिखाने के लिए अवैध असलाहों की जरूरत पड़ती है।

रवैया रहता है लचर

आ‌र्म्स एक्ट के मामलों में पुलिस का लचर रवैया रहता है। अपराधी से अवैध वीपंस बरामद होने पर पुलिस केवल आ‌र्म्स एक्ट की धारा 25 में मुकदमा दर्ज कर अपनी इतिश्री कर लेती है। पुलिस न तो ये तफ्तीश करती है कि अमुक वीपंस जो बरामद हुआ है, वह अपराधी को कहां से मिला। पुलिस उसका लिंकअप तलाशे तो उसके हाथ बहुत बड़ा जखीरा मिल सकता है।

ये है मुकदमे की प्रक्रिया

पुलिस जब भी जांच में कोई अवैध तमंचा कारतूस या अन्य कोई पिस्टल बरामद करती है तो पहले वह उसे शस्त्र अधिनियम के तहत 41/102 में दर्ज करती है। इसके बाद पुलिस मुकदमे में ये शो करती है कि लाइसेंस मांगे जाने पर पकड़े गए व्यक्ति द्वारा नहीं दिखाया गया। इसके बाद मामला आ‌र्म्स एक्ट 25 में दर्ज कर मुजरिम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है। मुकदमा चलाने के लिए डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके बाद वीपंस को मालखाने में जमा करा दिया जाता है।

पुलिस वीपन्स के लिंकअप की नहीं करती तफ्तीश

अपराधियों से वीपंस बरामद होने पर आ‌र्म्स एक्ट की धारा 25 में मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस वीपंस के लिंकअप की तफ्तीश नहीं करती है। ये वीपंस उसको कहां से मिला। अगर पुलिस ऐसे मामलों की तह तक जाए तो कई चौंकाने वाली जानकारियां उसके हाथ लग सकती हैं।

क्या होती है धारा 25

पुलिस जब किसी अपराधी या व्यक्ति को पकड़ता है और उस पर अवैध असलाह बरामद होता है तो उसे धारा 25 में दर्ज कर लिया जाता है। मुकदमा दर्ज करते वक्त ये भी कहा जाता है कि अमुक व्यक्ति से लाइसेंस मांगने पर व्यक्ति ने नहीं दिखाया।

मुकदमा समाप्त होने पर नष्ट होना चाहिए वीपंस

नियमानुसार आ‌र्म्स एक्ट का मुकदमा समाप्त होने के बाद वीपन्स को नष्ट कर देना चाहिए, लेकिन आमतौर पर पुलिस ऐसा नहीें करती है। अधिकारी आदेश पत्र तो जारी कर देते हैं। उसके आधार पर वीपन्स को नष्ट करने का पत्र निर्गत कर दिया जाता है, लेकिन वीपन्स को नष्ट नहीं किया जाता है। सम्बन्धित एसओ या इंस्पेक्टर को चुनावों के समय या अन्य किसी मामले में मुकदमों के टारगेट दिया जाता है, तो पुलिस इन वीपन्स का ही इस्तेमाल मुकदमों में करती है।

Posted By: Inextlive