हरियाली तीज कथा: भगवान शिव ने पार्वती जी को सुनाई थी यह कथा, इसका है ये महत्व
देवी पार्वती की पूजा-आराधना का प्रमुख दिन है- हरियाली तीज! इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं, निर्जला व्रत रखती हैं। यह कठिन व्रत है, जिसमें महिलायें पूरा दिन बिना भोजन और जल के रहती हैं और दूसरे दिन प्रात:काल पवित्र स्नान और पूजा के बाद भोजन ग्रहण करती हैं।
पूर्व जन्म का स्मरण कराना था उद्देश्यइस व्रत की कथा भोलेनाथ ने देवी पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण करवाने के उद्देश्य से कही थी- हे पार्वती! प्राचीन समय में तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। तुमने अन्न-जल त्याग कर दिया था। तुम्हारी मनोदशा देखकर तुम्हारे पिता बहुत दु:खी और क्रोधित थे, तब देवऋषी नारद तुम्हारे महल पधारे और आगमन का कारण बताया कि- हे गिरिराज! मैं भगवान श्रीविष्णु के भेजने पर यहां आया हूं जो आपकी बेटी की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर उससे विवाह करना चाहते हैं?
देवऋषी नारद की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्न हुए और बोले- हे देव! यदि स्वयं भगवान श्रीविष्णु मेरी बेटी से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती! मैं इस शुभ विवाह के लिए तैयार हूं। पर्वतराज की स्वीकृति पाकर देवऋषी नारद, श्रीविष्णु के पास गए और यह शुभ संदेश सुनाया, लेकिन जब तुम्हें इस बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दु:ख हुआ। तुम मुझे मनोमन अपना पति मान चुकी थी। तुमने अपने बेचैन मन की बात अपनी सखी को बताई।
तुम्हारी सखी ने सुझाया कि तुम्हें वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम भोलेनाथ को प्राप्त करने की तपस्या करना। तुम्हारे पिता तुम्हें महल में नहीं पाकर दु:खी और परेशान हो गए कि यदि विष्णुदेव बारात लेकर आ गए और तुम महल में नहीं मिली तो क्या होगा? उन्होंने तुम्हारी बहुत तलाश की लेकिन तुम नहीं मिली। तुम तो तपस्या में मग्न थी और तुमने शिवलिंग बना कर मेरी आराधना की, जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। तुमने अपने पिता से कहा कि- पिताश्री! मैंने अपने जीवन का समय भोलेनाथ की तपस्या में बिताया है, जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे। पिताश्री ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें महल वापस ले गये। इसके बाद उन्होंने विधि-विधान से हमारा शुभ विवाह किया।हर स्त्री को मिलता है मनवांछित शुभफल