कभी इंटलेक्चुअल पर्सनालिटीज का होता था सबसे बड़ा अड्डा

जमती थी महफिल, देश की रणनीति पर होती थी यहां चर्चा

ALLAHABAD: सिविल लाइंस स्थित इंडियन काफी हाऊस किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इसकी स्थापना 1906 के आसपास हुई। दिल्ली कोआपरेटिव सोसाइटी के संस्थापक केरल मूल निवासी एके गोपालन की देखरेख में शुरू हुआ काफी हाउस देखते ही देखते लेागों के दिलों पर राज करने लगा। मौजूदा दौर में नाम के अनुरूप कोल्ड काफी, क्रीम कॉफी, हॉट काफी, ट्रे कॉफी के लिए चर्चित हुआ। सबसे खास है यहां के इम्पलाईज का ड्रेस कोड। सफेद पैंट शर्ट और सिर पर साफा बांधे वेटर जब कस्टमर्स से ऑडर लेने आते हैं तो किसी राजशाही ठाठ सी फीलिंग आती है। लेकिन दशकों पहले तक यहां बैठकर होने वाली सार्थक चर्चाएं अब कम ही दिखती हैं। कुछ पुराने शौकीन हैं जो यहां पहुंचते है। लेकिन वे भी पहले जैसी चर्चाओं से बजाए अपने वर्क और बिजनेस की बातों तक ही सीमित रह गए हैं।

प्रधानमंत्री तक आते थे

काफी हाउस के प्रेसिडेंट कुंदन सिंह बताते हैं कि यहां पर हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट के जज तक आते थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू, अटल बिहारी बाजपेई, समेत कई प्रधानमंत्री यहां रायशुमारी के लिए पहुंचते थे। कई राजनेताओं ने यहां घंटों तक देश की रणनीति पर चर्चा भी की है।

वर्जन

काफी हाउस में पहले जैसा माहौल नहीं रह गया। पहले के समय में लोगों के पास काफी समय हुआ करता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। राजनीतिक दल से लेकर छात्र राजनीति करने वाले नेता हो या फिर आम लोग। सभी यहां पर घंटों देश विदेश की नीतियों पर चर्चा करते थे। आज वैसा माहौल नहीं रह गया है। लेकिन फिर शहर की शान में आज भी काफी हाउस को शुमार किया जाता है।

विनोद चन्द्र दुबे

Posted By: Inextlive