पाक पीएम इमरान खान ने गुरुवार को ट्विटर पर कहा कि नया जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 4वें जेनेवा कन्वेंशन का स्पष्ट उल्लंघन है। इसपर पीओके के कार्यकर्ताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

ग्लासगो/लंदन (एएनआई) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 की शुरुआत को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना की निंदा की है। खान ने गुरुवार को ट्विटर पर कहा कि नया जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 "4 वें जेनेवा कन्वेंशन का स्पष्ट उल्लंघन है, इसपर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ग्लासगो में स्थित पीओके कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि यह अधिसूचना एक समान अधिकार देने की दिशा में एक महान कदम है जो एक निश्चित समय के लिए क्षेत्र में रहते हैं। मिर्जा ने कहा, 'क्षेत्र के बाहर के सरकारी सेवकों के बच्चे अब अधिवास पाने के पात्र होंगे।'

ये लोग अधिवास पाने के पात्र

बता दें कि नई दिल्ली ने जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में अधिवास नियमों को परिष्कृत करते हुए कहा कि जो कोई भी क्षेत्र में 15 साल से अधिक समय तक रहा हो या उसने सात साल की अवधि के लिए अध्ययन किया हो और वह किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10 वीं / 12 वीं की परीक्षा में उपस्थित हुआ हो वह जम्मू और कश्मीर में एक अधिवास पाने के लिए पात्र माना जा सकता है। जो प्रवासी के रूप में पंजीकृत हैं, वे भी आदेश के दायरे में आएंगे। मिर्जा ने कहा, 'खान की आलोचना बेबुनियाद है और उन्हें एक पाखंडी के रूप में उजागर करता है। वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मांग बावजूद पाकिस्तानी सेना को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) से वापस नहीं बुला रहे हैं।'

एक अन्य कार्यकर्ता ने भी की निंदा

इस बीच, पीओके के एक अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता व राष्ट्रीय समानता पार्टी जेकेजीबीएल के अध्यक्ष सज्जाद राजा,ने कहा, 'हम इमरान खान के उस बयान की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें उन्होंने कश्मीर में भारत के संविधान संशोधन के अधिनियम को 'नस्लवादी वर्चस्व' का कार्य बताया है।' उन्होंने कहा कि इन पाकिस्तानी कृत्यों ने पहले ही पाकिस्तानी कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान और पीओजेके की जनसांख्यिकीय संरचना बदल दी है।

Posted By: Mukul Kumar