दून हॉस्पिटल में पेशेंट को सर्जरी कर पैर काटने के बाद रेफर किया गया प्राइवेट हॉस्पिटल। प्राइवेट हॉस्पिटल ने भी सर्जरी कर पैर काटने का किया क्लेम...

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DEHRADUN: आयुष्मान योजना में दून हॉस्पिटल से प्राइवेट हॉस्पिटल में पेशेंट रेफर किए जाने की धांधली में वार्ड ब्वॉय ने बड़ा खुलासा किया है. एक पेशेंट के रेफरल केस में सामने आया कि दून हॉस्पिटल में सर्जरी के दौरान उसका पैर काटना पड़ा, यहां से उसे हायर सेंटर के नाम पर प्राइवेट हॉस्पिटल रेफर किया गया, वहां भी सर्जरी कर उसका पैर काटने की बात कही गई और प्राइवेट हॉस्पिटल ने आयुष्मान के तहत क्लेम भी कर दिया. बड़ा सवाल यह है कि पेशेंट के एक पैर को दो हॉस्पिटल सर्जरी कर कैसे काट सकते हैं. आयुष्मान योजना की टीम अब इस मामले की जांच कर रही है, जांच रिपोर्ट के बाद हॉस्पिटल के कई उच्चाधिकारियों पर गाज गिर सकती है.

आयुष्मान में धांधली
मरीजों को वर्ष में 5 लाख तक का फ्री इलाज देने की आयुष्मान योजना धांधली की भेंट चढ़ती जा रही है. योजना के तहत सरकारी हॉस्पिटल्स को अपने यहां समुचित इलाज की सुविधा न होने पर पेशेंट्स को हायर सेंटर रेफरल का अधिकार दिया गया है. इस अधिकार का ही फायदा उठाकर धांधली हो रही है. दून हॉस्पिटल के एक रेफरल केस ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर सवाल खड़े किए हैं जो जांच के दायरे में हैं. एक पेशेंट का किसी बीमारी के चलते ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. अनिल जोशी ने सर्जरी कर पैर काट दिया. इसके बाद डॉ. अनिल जोशी ने पेशेंट को हायर सेंटर रेफर कर दिया. इसके बाद पेशेंट जिस प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, उसने भी सर्जरी कर पैर काटने का क्लेम आयुष्मान योजना में कर दिया. यह भी सामने आया कि ये प्राइवेट हॉस्पिटल हायर सेंटर की कसौटी पर फिट नहीं बैठता. इस केस से जुड़े सारे डॉक्यूमेंट हेल्थ डिपार्टमेंट की आयुष्मान टीम ने अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है.

गाज गिरी तो वार्ड ब्वॉय ने खोला मोर्चा
दून हॉस्पिटल से प्राइवेट हॉस्पिटल्स को गलत तरीके से रेफर किए जाने के मामले में दून हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने 12 वार्ड ब्वॉय जिनमें 4 परमानेंट व 8 संविदा पर तैनात हैं की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए इमरजेंसी और ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट से ट्रांसफर कर दूसरे डिपार्टमेंट में भेज दिया था. ये वार्ड ब्वॉय अब खुद को निर्दोष बताते हुए हॉस्पिटल के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार हैं.

ट्रांसफर क्यों, दोषी हैं तो सस्पैंड करो
वार्ड ब्वॉयज का कहना है कि पेशेंट्स को रेफर करने का अधिकार डॉक्टर्स को है, वार्ड ब्वॉय की इसमें कोई भूमिका नहीं होती. ऐसे में कार्रवाई उनके खिलाफ क्यों की गई. एक वार्ड ब्वॉय ने तो यहां तक कहा कि अगर वे दोषी हैं तो उन्हें ट्रांसफर क्यों किया, सस्पैंड कर देना चाहिए था. उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

प्राइवेट हॉस्पिटल्स से साठ-गांठ
रेफरल केसेज में धांधली के सामने आने के बाद दून हॉस्पिटल की भूमिका सवालों के घेरे में है. जाहिर है प्राइवेट हॉस्पिटल से साठ-गांठ कर पेशेंट को रेफर किया जा रहा है. इससे प्राइवेट हॉस्पिटल्स की तो चांदी हो ही रही है, सरकारी हॉस्पिटल के स्टाफ को भी जरूर कुछ फायदा पहुंच रहा है. हॉस्पिटल के स्टाफ के साथ ही बाहरी दलालों को लेकर भी चर्चा हो रही है. हालांकि, आयुष्मान टीम मामलों की जांच कर रही है, जिसके बाद कई पर गाज गिर सकती है.

Posted By: Ravi Pal