DEHRADUN: चार वर्ष की एक मासूम से दुष्कर्म केस का दून में डॉक्टर और पुलिस वालों ने व्यवस्था के नाम पर जमकर मजाक उड़ाया। दुष्कर्म पीडि़त बच्ची को जख्मी हालत में लेकर परिजन ट्यजडे को दून अस्पताल पहुंचे थे। मासूम को ब्लीडिंग हो रही थी, इसके बावजूद डॉक्टर्स ने पुलिस रिपोर्ट लाने पर इलाज की बात कहकर लौटा दिया। परिजन रात को ही थाने पहुंचे तो पुलिस ने भी दूसरे जिले का मामला बताकर टरका दिया। फिर सूचना बाल आयोग तक पहुंची। आयोग ने डीजी लॉ एंड ऑर्डर को फोन किया दूसरे दिन बिना नंबर के एफआईआर दर्ज की गई। तब जाकर मासूम पीडि़ता का इलाज और मेडिकल मुआयना किया गया।

रिश्तेदार है दुष्कर्म का आरोपी
आरोप है कि मसूरी के पास थत्यूड़ के एक गांव में चार साल की मासूम से 16 वर्षीय किशोर ने टॉफी का लालच देकर दुष्कर्म किया। जख्मी हालत में बच्ची को लेकर परिजन शाम को दून अस्पताल ले आये। यहां वे सिस्टम के आगे लाचार हो गए। डॉक्टर्स ने पुलिस केस बताते हुए पहले एफआईआर कराकर आने की बात कही। वहीं बच्ची दर्द में तड़पती रही।

बाल आयोग के हस्तक्षेप पर एफआईआर
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सीमा डोरा ने बताया कि चार वर्षीय मासूम के दुष्कर्म मामले में परिजन कोतवाली थाने की धारा चौकी पहुंचे थे तो उन्हें दूसरे जिले का मामला बताते हुए उन्हें टरकाया जा रहा था। उनको सूचना मिली तो उन्होंने डीजी लॉ एंड ऑर्डर को फोन किया गया। कोतवाली बात की गई, तब कहीं जाकर मामले में बिना नंबर की रिपोर्ट दर्ज हुई। रिपोर्ट के बाद थत्यूड़ पुलिस भी मौके पर पहुंची।

बाल आयोग की सदस्य नाराज
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सीमा डोरा ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि पॉक्सो के मामलों में भी पुलिस सुनवाई नहीं कर रही है। पहले भी बाल आयोग की ओर से इस संबंध में थानों को इंस्ट्रक्शन दिए जा चुके हैं, इसके बावजूद कोई असर नहीं है, ये बेहद ही गंभीर विषय है। कहा कि यदि किसी की आयोग तक पहुंच नहीं होगी तो क्या उसकी सुनवाई ही नहीं होगी। कहा कि मामले को गंभीरता से लेना होगा।

बाल आयोग की सदस्य का कॉल आया था, इस पर थाना इंचार्ज को केस दर्ज करने के डायरेक्शन दे दिये गये। जांच जारी है।

अशोक कुमार, डीजी, लॉ एंड ऑर्डर

Posted By: Inextlive