नेताओं के चुनावी वादे और सरकार के ढिलमुल रवैये से परेशान चंडीगढ के गांववालों ने खुद ही पैसे इकठ्ठा करके पुल खड़ा कर दिया। इस पुल की लागत करीब 1 करोड़ रुपये है और पिछले 40 सालों से गांववाले सरकार द्वारा पुल के बनाने का इंतजार करते रहे। लेकिन गांववालों की एकजुटता ने सरकारी महकमें में बैठे अधिकारियों और नेताओं को करारा जवाब दे दिया।

40 किमी का रास्ता अब 10 किमी में
हरियाणा के सिरसा जिले के समीप स्िथत गांव में बना 214 फीट लंबा यह पुल चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पुल की चौड़ाई 16 फीट है, जिसे घाघर नदी के ऊपर बनाया गया है। नेताओं द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने से परेशान इन गांववालों ने एक कदम आगे बढ़ते हुए, वो कारनामा कर दिखाया। जिसे देखकर नेताओं को शर्म आनी चाहिए। एक स्थानीय निवासी का कहना है कि, बच्चों को स्कूल जाने मे काफी दिक्कतें हुआ करती थीं, जिसको लेकर स्थानीय नेताओं से कई बार पुल बनाने को लेकर आग्रह किया गया। लेकिन वह बार-बार टालते रहे। ऐसे में आखिरकार हम लोगों ने मिलकर इस पुल का निर्माण करवाया। पुल बनते ही 40 किमी का रास्ता अब 10 किमी में तय किया जा सकेगा।

क्या कहना है कंस्ट्रक्शन कमेटी का

पुल निर्माण की जिम्मेदारी संभालने वाली कमेटी के सेक्रेटरी मेजर सिंह ने बताया कि, सरकार यहां कई बार आई और चली गई। ये सिर्फ वादे करते थे लेकिन इन्होंने कभी मदद नहीं की। उन्होंने बताया कि, सभी स्थानीय लोग मंत्रियों, सांसदों और यहां तक कि मुख्यमंत्री जी से भी मिल चुके थे। इसमें कांग्रेस, बीजेपी, और आईएनएलडी सभी पार्टियों के नेता शामिल थे। लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। यहां तक कि जब पुल निर्माण का काम शुरु हुआ तब भी कोई देखने तक नहीं आया।
नेताओं के लिए 'नो इंट्री'
पुल बनाने में कुल 9 गांववालों ने चंदा दिया है, जिसमें कि अभी तक 90 लाख रुपया खर्चा हो चुका है। इस पुल का निर्माण पिछले साल अप्रैल में शुरु हुआ था और यह लगभग तैयार हो चुका है। ये गांववाले नेताओं से इस कदर नाराज हैं कि, उन्होंने इस पुल पर नेताओं के चलने पर बैन लगा दिया। इनका कहना है कि, वह इस बार चुनावों का बहिष्कार करेंगे और किसी भी नेता को इस पुल से गुजरने नहीं देंगे। यह हमारे द्वारा बनाया गया है और इसका इस्तेमाल गांववाले ही करेंगे।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari