ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल करेंसी के इस दौर में पैसे रुपए से जुड़े साइबर फ्रॉड कुछ ज्यादा ही आम होते जा रहे हैं। हर रोज अखबारों में ATM या ओटीपी द्वारा बैंक फ्रॉड के मामले सामने आते हैं लेकिन ताजा मामला तो वाकई हिला देने वाला है। मुंबई के एक व्यक्ति ने ऑनलाइन वॉलेट कंपनी मोबिक्विक को तकरीबन 20 करोड़ का चूना लगा दिया और इसके लिए उसने 6000 खातों में पैसा ट्रांसफर किया। इस महाफ्रॉड में और कितने लोग शामिल है पूछताछ में इसका पता जल्‍दी ही लग जाएगा।

ऑनलाइन बैंकिंग, डेबिट या क्रेडिट कार्ड से जुड़े साइबर फ्रॉड आजकल बहुत बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। लोग अपने बैंक में पैसा जमा कराते हैं और उनकी बिना जानकारी के या गलती से लाखों रुपए दूसरे खाते में ट्रांसफर हो जाते हैं या फिर उनसे फर्जी शॉपिंग कर ली जाती है। इसके बाद पीडि़त लोग बैंकों और पुलिस की साइबर सेल के चक्कर लगाते रहते हैं। अब अगर किसी बैंक का मैनेजर ही फ्रॉड करने पर उतर आए तो वह क्या क्या कर सकता है उसकी आप कल्पना ही कर सकते हैं। ताजा मामला ऐसा ही है।

 

गुडगांव बेस्ड डिजिटल वॉलेट कंपनी मोबिक्विक ने हाल ही में अपने साथ हुए 19.6 करोड़ रुपए की फ्रॉड की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई थी। डिजिटल वॉलेट कंपनी के साथ हुए इस महाफ्रॉड मामले में पुलिस टीम ने निजी बैंक में काम करने वाले एक मैनेजर को मुंबई से अरेस्ट किया है। फिलहाल पुलिस ने इस बैंक मैनेजर को 6 दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर धुआंधार पूछताछ शुरू कर दी है।

 

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हाल ही में डिजिटल वॉलेट कंपनी मोबिक्विक के साथ 19.6 करोड़ रुपए का डिजिटल फ्रॉड हो गया था। इतनी बड़ी धोखाधड़ी को लेकर पुलिस भी पूरी तरह हरकत में आ गई और यह मामला साइबर सेल को सौंप दिया गया। जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि मुंबई में रहने वाले इस एक बैंक मैनेजर ने मोबिक्विक से 1853 बार ट्रांजैक्शन करके तकरीबन 93 लाख रूपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए थे। इसी आरोप में इस बैंक मैनेजर को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा इस धोखाधड़ी मामले की जांच में पुलिस की साइबर सेल द्वारा 52 लोगों को नोटिस भेजा गया है।

 

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आपको बता दें कि इस पूरे फ्रॉड में अभी तक जो खुलासा हुआ है उसके मुताबिक मुंबई का रहने वाला यह व्यक्ति पूरे फ्रॉड का मास्टरमाइंड हो सकता है, लेकिन इसमें कई और लोग भी शामिल हो सकते हैं। तभी तो करोड़ों रुपए की रकम सिर्फ 2 या 4 खातों में नहीं बल्कि करीब 6000 खातों में ट्रांसफर की गई थी और यह पूरा फ्रॉड 1 दिन में नहीं बल्कि धीरे-धीरे करके करीब 3 महीनों के दौरान अंजाम दिया गया। जब साइबर सेल ने लोगों को नोटिस भेजा तो कई लोगों ने डरकर कंपनी को पैसे वापस भी कर दिए, लेकिन अभी भी कंपनी के करोड़ों रुपयों का कोई अता-पता नहीं है। इस बैंक मैनेजर से पूछताछ में ही खुलासा होगा कि डिजिटल वॉलेट कंपनी के साथ कुछ लोगों ने मिलकर इतना बड़ा फ्रॉड कैसे कर दिया।

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Posted By: Chandramohan Mishra