पठानकोट आतंकी हमले के जवाब में सेना एयरफोर्स और एनएसजी का संयुक्‍त ऑपरेशन अभी जारी है। इस हमले का सच तो एनआईए की जांच के बाद ही आएगा। लेकिन हमले में शामिल आतंकियों की गिरफ्त से बच निकलने का दावा कर रहे गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह की बात कई सवाल खड़े कर रही है। आइए जानते हैं क्‍या हैं ये सवाल और क्‍यों हजम नहीं हो रही एसपी की बातें...


1 . ड्रग्स मामला  एक लंबे अर्से से पंजाब में भारत-पाक सीमा से पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान तक अवैध रूप से ड्रग की तस्करी होती रही है। इस तस्करी में राज्य कर्मचारियों की भूमिका सबसे ज्यादा बढ़ने लगी है। ऐसे में खुफिया एजेंसियों का शक पूरी तरह से इन कर्मियों पर जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें ये सवाल उठना भी लाजमी हैं कि क्या कोई कर्मी पंजाब-पाक सीमा पर होने वाली ड्रग तस्करी करने वाले माफियाओं के करीबी तो नहीं। बड़ी बात ये भी है कि इस बारे में जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गुरप्रीत सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देने में असमर्थता जता दी।  2 . छवि भी नहीं है बेदाग


अब यहां दूसरा सवाल ये भी उठता है कि खुद सलविंदर की छवि भी इतनी बेदाग नहीं है। इसका कारण बताया गया है कि इससे पहले उन पर पांच महिला सिपाहियों के यौन शोषण का भी आरोप लग चुका है। इसी घटना के बाद उनका ट्रांसफर जालंधर कर दिया गया था। 3 . नीली बत्ती वाली गाड़ी

अब यहां इससे भी अजीब और गले से न उतरने वाली बात ये भी लग रही है कि सादे कपड़ों में होने के बावजूद सिंह नीली बत्ती वाली सरकारी गाड़ी में थे। उससे भी बड़ी और चौंकाने वाली बात ये लग रही है कि जब आतंकियों ने उनकी कार पर कब्जा कर लिया और उनके रसोइये वर्मा के गले पर चाकू से वार भी किया, तो उनका वार इतना गहरा नहीं था कि उससे उसकी मौत हो जाए। इतना ही नहीं इतना सब होने के बावजूद आतंकियों ने एसपी को बिना किसी नुकसान के छोड़ भी दिया। 4 . क्यों गए रात को दर्शन करने अब अगला सवाल ये भी उठता है कि सलविंदर ने ये सफाई दी थी कि वह पठानकोट में किसी देवता की पूजा के लिए वहां गए हुए थे। तो आधी रात के बाद नरोत जयमाल सिंह थाना क्षेत्र में आने वाले कोलियन गांव के नजदीक उनकी गाड़ी को रोक लिया गया। उस समय गाड़ी को वर्मा ही चला रहे थे। यहां सबसे बड़ी चीज जो अखरती है, वह ये कि कोई पुलिस अफसर किसी दूसरे जिले के किसी गुमनाम मंदिर में पूजा करने भला क्यों जाएगा, वो भी आधी रात में। 5 . ड्राइवर को मारकर इनको क्यों छोड़ा

सलविंदर ने इस तरह का बयान दिया कि उन्होंने आतंकियों से बातचीत कर खुद को उनके कब्जे से बचा लिया। ऐसा कैसे हो सकता है कि उन्होंने ड्राइवर को मार दिया और इनकी बातों से सहमत होकर इनको छोड़ दिया। इसके बाद और भी बड़ी और चौंकाने वाली बात ये रही कि आतंकियों के कब्जे से निकलकर वह दो घंटे तक पैदल चलकर गांव पहुंचे और यहां उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी।inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Ruchi D Sharma