मुस्‍लिम संप्रदाय के लिए मोहर्रम एक मातम का त्‍यौहार है। हाल ही में देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में मोहर्रम का जूलूस निकाला गया। लेकिन मध्‍यप्रदेश के भंडेर कस्‍बे का ताजिया सबसे ज्‍यादा चर्चित रहा। बताते हैं यहां पर ताजिया निकालने से पहले भगवान श्रीकृष्‍ण की पूजा होती है।


जूलूस से पहले श्रीकृष्ण की पूजामध्य प्रदेश का एक छोटा सा कस्बा भंडेर पिछले कई सालों से लोगों को धर्मनिरपेक्षता की सीख दे रहा है। यहां मोहर्रम पर निकलने वाले ताजिया जुलूस से पहले मुस्लिम समुदाय के लोग वहां के श्री कृष्ण मंदिर में जाकर उनकी पूजा करते हैं। पूजा के बाद ही ताजिया का जुलूस निकलता है। स्थानीय ताजिया कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल जब्बार की मानें तो यह वर्षों से होता आ रहा है। इस बार भी शहर में करीब 40 ताजिया बनाए गए थे और सभी ताजिया सबसे पहले चतुर्भुज महाराज को सलामी देते हैं। उसके बाद ही जुलूस आगे की ओर बढ़ता है। कहा जाता है कि 200 साल पहले इस चतुर्भुज कृष्ण मंदिर का निर्माण एक मुस्लिम परिवार ने कराया था और तभी से ताजिया जुलूस की यह परंपरा जारी है।
इस मंदिर में मां को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटते हैं शराबक्या है इसके पीछे कहानी


मंदिर के पुजारी रमेश पांडा बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण एक स्थानीय मुस्लिम हजारी के द्वारा कराया गया था। हजारी को एक दिन सपना दिखा जिसमें चतुर्भुज भगवान कह रहे हैं कि मैं नजदीक के तालाब में हूं। हजारी वहां पहुंचे और उन्होंने तालाब की खुदाई शुरु कर दी। उन्हें वहां भगवान श्रीकृष्ण की एक मूर्ति मिली। चार टन वजनी इस मूर्ति को वह अपने घर ले आए। और बाद में इसको मंदिर में स्थापित किया।इस मंदिर में पानी से जलता है माता का दीयामुस्लिम होते हैं रथयात्रा में शामिलयहां पर न सिर्फ ताजिया से पहले मंदिर में पूजा की जाती है बल्कि जब भी भगवान श्रीकृष्ण की रथयात्रा निकलती है, हजारी परिवार का कोई न कोई सदस्य आकर उसे जरूर अपने कंधों से खींचता है। तभी रथयात्रा शुरू होती है।Weird News inextlive from Odd News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari