RANCHI : झारखंड के फल-सब्जी व उनसे बने प्रोडक्ट्स की पहुंच अब ग्लोबल मार्केट तक होगी। किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और फल-सब्जियां भी बर्बाद नहीं होंगी। राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगी, क्योंकि सोमवार को झारखंड को पहले मेगा फूड पार्क का तोहफा मिला। रांची के गेतलसूद में 56 एकड़ में बने मेगा फूड पार्क का उद्घाटन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल, केंद्रीय खाद्य प्रस्संकरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया। इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ नीरा यादव, सांसद रामटहल चौधरी, मेयर आशा लकड़ा और पंतजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे।

तैयार होने में लगे सात साल

झारखंड में मेगा फूड पार्क तैयार होने में सात साल लग गए। 23 फरवरी 2009 को गेतलसूद डैम के पास इसका शिलान्यास हुआ था। इसके लिए रियाडा ने 56 एकड़ जमीन दी थी। इसके निर्माण में समय-समय पर अड़चनें आती रहीं। आखिरकार सोमवार को यह राज्य को समर्पित कर दिया गया। यह देश का सबसे बड़ा मेगा फूड पार्क है। इस मेगा फूड पार्क से सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा।

हजारीबाग, बोकारो और साहेबगंज में भी बनेगा मेगा फूड पार्क (बॉक्स)

उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हजारीबाग, बोकारो और साहेबगंज में भी मेगा फूड पार्क बनाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार का इरादा किसानों को ज्यादा से ज्यादा सहूलियत देना है। मेगा फूड पार्क से यहां के फल-सब्जियों व प्रोडक्ट्स की न र्सि मार्केटिंग आसान हो जाएगी, बल्कि इसकी ब्रांडिंग में भी मदद मिलेगी। यहां किसानों को फसलों की मार्केटिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

नौकरी और मुआवजे की उठी आवाज

गेदलसूद में एक तरफ मेगा फूड पार्क का उद्घाटन हो रहा था तो दूसरी तरह सैकड़ों स्थानीय लोग नौकरी और मुआवजा देने की आवाज बुलंद कर रहे थे। इनका कहना था कि मेगा फूड पार्क के लिए उनकी जमीन ली गई है। ऐसे में जमीन के एवज में नौकरी के साथ मुआवजा भी सरकार दे। इस दौरान वे यहां स्थानीय युवकों को ट्रेनिंग देने की भी मांग कर रहे थे। इनके विरोध के कारण उद्घाटन समारोह कुछ देर विलंब से शुरू हुआ।

मेगा फूड होंगी ये सुविधाएं

इस पार्क में मल्टीपरपस कोल्ड स्टोरेज, माल गोदाम, सब्जियों के डिहाइड्रेशन लाइन, आधुनिक गुणवत्ता नियंत्रण और परीक्षण प्रयोगशाला सहित फलों और सब्जियों की प्रसंस्सकरण जैसी सुविधाएं रहेंगी। यहां बागवानी और गैर-बागवानी उत्पादों को सड़ने से बचाने की भी व्यवस्था है।

ऐसे करेगा यह काम

40 मोबाइल वैन के जरिए किसानों के खेत से सीधे फल व सब्जी को खरीदकर कलेक्शन सेंटर पर लाया जाएगा। इसके बाद प्राइमरी प्रॉसेसिंग यूनिट में इसकी प्रॉसेसिंग की जाएगी। फिर, सेंट्रल प्रॉसेसिंग यूनिट में इसका प्रॉेसेसिंग कर पैकेजिंग की जाएगी। इसके बाद इसे रिटेल मार्केट में भेजा जाएगा।

Posted By: Inextlive