गांगुली के बांग्लादेश को डे-नाइट टेस्ट के प्रस्ताव पर गुलाबी गेंद को लेकर मुश्किल में बीसीसीआई
नई दिल्ली (आईएएनएस)। करीम को अनुमान नहीं रहा होगा कि गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में वापसी करेंगे। पूर्व कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी, जो गांगुली के नेतृत्व वाली तकनीकी समिति का भी हिस्सा थे, ने आईएएनएस को बताया कि बेहतर योजना समय की जरूरत थी और वर्तमान हालात से बचा जा सकता था, बशर्ते बीसीसीआई के कर्मचारियों ने बेहतर रवैया दिखाया और विभिन्न समितियों की सिफारिशों को नजरअंदाज नहीं किया होता। उनका मानना है कि अभी भी समय है और करीम को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से बोर्ड और उसकी समितियों की सिफारिशों और फैसलों की जानबूझकर अनदेखी की जा रही थी। नतीजतन गुलाबी गेंद का उपयोग इस साल दलीप ट्रॉफी के लिए बंद कर दिया गया था। यह अक्षम्य है। इसके अलावा, यहां तक कि टीम प्रबंधन ने पहले गुलाबी गेंद के साथ खेलने के लिए और अधिक समय का अनुरोध किया था। अब आपके सामने ऐसे हालात हैं कि जहां टीम गुलाबी गेंद के साथ डे-नाइट टेस्ट खेलने की तैयारी कर रही है। जिसका कर्मचारियों के रवैये के कारण घरेलू टूर्नामेंट के लिए भी उपयोग नहीं किया गया। अगर वे सौरव की अगुवाई वाली तकनीकी समिति या बीसीसीआई के पहले के सिफारिशों को मानते तो स्थिति बहुत बेहतर होती। शुक्र है कि हमारी टीम वास्तव में अजेय है और संभवतः आप टेनिस बॉल से भी सब कुछ जीत सकते हैं, इसलिए क्रिकेट ऑपरेशन टीम के इस दोष की ओर किसी का ध्यान नहीं जाएगा। सबा करीम को हालांकि आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।क्वालिटी गुलाबी गेंदों की कमी चौधरी के मुताबिक, उम्मीद की जानी चाहिए कि नए पदाधिकारी बोर्ड को वर्तमान स्थिति से प्रभावी स्थिति में वापस लाएंगे जहां प्रभाव और प्रणाली सभी अनुपस्थित थे। उन्होंने कहा कि वास्तव में, दलीप ट्रॉफी को 2017-18 सीजन में लगभग मिस किया गया था। भारतीय खिलाड़ियों को गुलाबी गेंद के साथ खेलने का बहुत कम या कोई अनुभव नहीं है, बल्कि क्वालिटी एसजी गुलाबी गेंदों का भी बीसीसीआई के पास बहुत कम स्टॉक है। बीसीसीआई अब ऐसी स्थिति में है, जब वे वास्तव में कूकाबुरा या ड्यूक्स से बात करने के लिए मजबूर हो सकते हैं, ताकि गुणवत्ता वाली गुलाबी गेंदों को उपलब्ध कराया जा सके क्योंकि घरेलू क्रिकेट में पहले इस्तेमाल की गई एसजी गेंदें अपना आकार और चमक खो देती थीं और लगभग बेकार हो जाती थीं। अभी एसजी से टेस्ट के लिए गुलाबी गेंदों की बात की जानी है उसके बाद भी उन्हें इंटरनेशनल क्वालिटी की गुलाबी गेंदें सप्लाई करने में 7-10 दिन लग जाएंगे।
बीसीसीआई की चिंता अंपायरों को सब्सट्यिूट गेंद देने को लेकर है
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि अगर बीसीबी रोशनी के तहत दूसरा टेस्ट खेलने के लिए सहमत होता है, तो हमारे पास एक सूरत बन सकती है, जहां हमें कूकाबुरा या ड्यूक्स से बात करने की आवश्यकता होगी। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बीसीसीआई की चिंता अंपायरों को सब्सट्यिूट गेंद देने को लेकर है जो लगभग असंभव है। अगर करीम घरेलू मैचों को रोशनी में कराने के लिए तैयार हो गए होते, मसलन रणजी ट्रॉफी के नॉकआउट मैच या ईरानी कप तो हमारे पास पर्याप्त गेंदें तैयार होंगी। लेकिन यह विचार ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। कोई प्रयास नहीं किया तो अब, जब हमें लगभग दोनों टीमों व मैच अधिकारियों को लगभग 48 गेंदें देनी हैं, तो उन्हें लाया कहां से जाएगा। अगर कोई गेंद 34 ओवर के बाद पार्क से बाहर चली जाती है, तो सब्सट्यिूट गेंद कहां से आगएी। आपको लगभग वैसी ही स्थिति की एक गेंद चाहिए। हम उन्हें कहां से लाएंगे। इसके अलावा, क्या क्रिकेटरों के पास पर्याप्त अभ्यास है, यदि आप देखेंगे तो ईरानी कप या रणजी के पिछले कुछ सीज़न में नॉकआउट के कई सितारे टीम में हैं। अगर गुलाबी गेंदें इस्तेमाल हुई होती तो उनमे से कई के पास उनसे खेलने का अनुभव होता। अगर ठीक तरह से शेड्यूलिंग की जाती तो कई सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ी ईरानी कप में नजर आते।