सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान में इजाफे एवं महंगे खाद्यान और कृषि योजनाओं के चलते केन्‍द्र सरकार पर 16 अरब डॉलर यानी एक लाख करोड़ रुपये का अतरिक्‍त बोझ बड़ने की संभावना है। इसके चलते आगामी बजट में वित्‍त मंत्री अरुण जेटली को पूंजीगत व्‍यय में कटौती करनी पड़ सकती है।


वित्त मंत्री की बढ़गी मुश्िकलेंवित्त मंत्रालयों के अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों ने यह आकलन जताया है कि वित्त मंत्री अरूण जेटली पर खर्च में इजाफे को लेकर दबाव अर्थव्यवस्था में असंतुलन की स्थिती पैदा कर सकता है। चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अरुण जेटली की पोटली से यदि सौगातें निकलती हैं तो आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ सकती है। इसके अलावा पीएम मोदी की ओर से प्रस्तावित टैक्स और श्रम सुधारों का अजेंडा भी पिछड़ सकता है। यहीं नहीं अरुण जेटली को रेलवे, सड़क, बंदरगाह और ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भी आवंटन में कमी करनी पड़ सकती है। इंफ्रस्ट्रक्चर में सुधार शुरुआत से ही मोदी सरकार का एजेंडा रहा है। क्रांतिकारी नहीं होगा बजट
कैपिटल इकॉनमिक्स के शीलन शाह ने बताया यह बजट बहुत क्रांतकारी और प्रेरणादायक नहीं रहने वाला है। इस बजट से पूंजीगत व्यय को लेकर दबाव बढ़ने वाला है। शाह ने कहा यहद सैलरी में इजाफे का प्रस्ताव लागू होता है तो बजट पर बड़ा दबाव रहेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली 29 फश्रवरी को अपना तीसरा बजट पेश करेंगे। माना जा रहा है कि अरुण जेटली सरकारी आयोग की ओर से एक करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में इजाफे और पेंशन में 23.5 प्रतशित की बढोतरी की की सिफारशि को लगू करने की ओर बड़ सकते हैं। पीएम ले रहे हैं बजट में दिलचस्पीअर्थिक जानकारों का मानना है कि यदि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं तो महंगाई दर दोहरे अंक को पार कर सकती है। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुरमन राजन के उपायों के चलते फिलहाल यह 6 प्रतिशत से नीचे हैं। बजट की तैयारियों से सीधे तौर पर जुडे़ अफसरों ने कहा कि खर्चों की पूर्ति और घाटे की भरपाई के लिए अरूण जेटली सेवाओं और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का फैसला ले सकते हैं। इसके बावजूद उनके पास विदेशी निवेश पर टैक्स के नियमों में कुछ ढील देने का विक्लप खुले होंगे। बजट से जुड़े अफसरों का कहना है कि पीएम मोदी भी बजट की तैयारियों में पूरी दिलचस्पी ले रहा है।

Posted By: Prabha Punj Mishra