भारत की एक और बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। दरअसल भारत के विरोध के बाद फ्रांस की संसद में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान का एक कार्यक्रम रद कर दिया गया। बता दें कि वह इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने वाले थे।


नई दिल्ली (एएनआई)। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे को लेकर अंतराष्ट्रीय मंचों पर झूठ फैलाने की कोशिश कर रहा है। हर  जगह मुंह की खाने के बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अब भारत ने एक बार फिर उसके एक नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया है। दरअसल, फ्रांस के संसद के लोअर हाउस में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के राष्ट्रपति मसूद खान का एक कार्यक्रम होने वाले था, जिसे भारत ने अपने कड़े विरोध से रोक दिया है। इस तरह से भारत की एक और बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है।भारत की आपत्ति पर फ्रांस ने गंभीरता से किया विचार
सूत्रों के मुताबिक, खान फ्रांस की संसद में जिस कार्य्रक्रम को संबोधित करने वाले थे, उसे पाकिस्तान दूतावास द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिलने के बाद फ्रांस में स्थित भारतीय दूतावास ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को एक आपत्तिपत्र लिखा और आग्रह किया कि खान के कार्यक्रम को तुरंत रोका जाए। पत्र में भारतीय दूतावास ने यह लिखा कि इस तरह के निमंत्रण से भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा क्योंकि जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है। भारत की आपत्ति पर फ्रांस ने गंभीरता से विचार किया और संसद में होने वाले खान के कार्यक्रम को रोक दिया। अमेरिका में विदेश मंत्री जयशंकर बोले, कश्मीर में विकास शुरू होते ही पाक का 70 साल का मंसूबा धरा का धरा रह जाएगाकोई नहीं दे रहा पाकिस्तान का साथबता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए। यहां तक पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र में भी पहुंच गया लेकिन यहां भी भारत के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने उसका आंतरिक मामला बताया और इसका समर्थन भी किया। वहीं, पाकिस्तान ने अबू धाबी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय सहित दुनिया भर के कई नेताओं को इस मुद्दे पर दखल देने के लिए कहा है लेकिन कोई भी देश उसके समर्थन में आगे नहीं आया।

Posted By: Mukul Kumar