नोटबंदी और जीएसटी के कारण मंद पड़ चुकी अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली है। तेजी भी ऐसी की चीन को पीछे छोड़ दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी हो गई है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश की विकास दर 7.2 फीसदी हो गई है। यह बीते 5 तिमाही में सबसे ज्यादा है। इससे पूर्व 7.5 प्रतिशत की उच्चतम दर 2016-17 की जुलाई-सितंबर तिमाही में थी। इसके साथ ही भारत की विकास दर एक बार फिर दुनिया में सबसे तेज हो गई है। इस मामले में उसने चीन को फिर से पीछे छोड़ दिया है जिसकी विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है। आंकड़ों पर वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इससे देश में अर्थव्यवस्था की गतिविधियां तेज होने के संकेत मिले हैं। खास यह है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय सीएसओ ने बुधवार को राष्ट्रीय आय के आंकड़े जारी करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत से संशोधित कर 6.6 प्रतिशत कर दिया।
कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पादन 32.50 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 30.32 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह तीसरी तिमाही में जीडीपी में 7.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इससे पूर्व विकास दर का उच्चतम स्तर 7.5 प्रतिशत वित्त वर्ष 2016-17 की जुलाई-सितंबर तिमाही में रहा था। यह तिमाही आठ नवंबर 2016 को केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से ठीक पहले की तिमाही थी। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर बढऩे में कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन है। मैन्यूफैक्चरिंग ने चालू वित्त वर्ष में 8.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है जबकि पिछले साल यह 6.9 प्रतिशत थी। इसी तरह कृषि क्षेत्र ने भी 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था नोटबंदी के असर से उबर चुकी है। साथ ही एक जुलाई 2017 से देशभर में जीएसटी लागू होने से आर्थिक गतिविधियों में जो शुरुआती व्यवधान आए, उसके प्रभाव से भी अर्थव्यवस्था निकलकर धीरे-धीरे उच्च रफ्तार की ओर बढ़ रही है।
2017-18 के लिए विकास दर का संशोधित अनुमान 6.6 प्रतिशत
सीएसओ ने 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) की विकास दर का आंकड़ा भी 6.3 प्रतिशत से संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। 2017-18 के लिए विकास दर के अनुमान को भी संशोधित कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। इससे पूर्व सीएसओ ने 31 जनवरी 2018 को विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान पेश किया था। हालांकि विकास दर का यह आंकड़ा 2016-17 में जीडीपी की 7.1 प्रतिशत वृद्धि दर के मुकाबले कम है। विकास दर के आंकड़ों पर वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रफ्तार तेज होने से अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिले हैं।
जीडीपी की रफ्तार |
अवधि | विकास दर (फीसदी में) |
(वित्त वर्ष 2016-17) |
अप्रैल-जून | 7.9 |
जुलाई-सितंबर | 7.5 |
अक्टूबर-दिसंबर | 7 |
जनवरी-मार्च | 6.1 |
(वित्त वर्ष 2017-18) |
अप्रैल-जून | 5.7 |
जुलाई-सितंबर | 6.3 |
अक्टू-दिसंबर | 7.2
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आर्थिक तस्वीर |
वित्त वर्ष | विकास दर (फीसदी में) |
2012-13 | 5.5 |
2013-14 | 6.4 |
2014-15 | 7.5 |
2015-16 | 8 |
2016-17 | 7.1 |
2017-18 (संशोधित अनुमान) | 6.6 |
तीसरी तिमाही का क्षेत्रवार प्रदर्शन (फीसदी में) |
क्षेत्र | 2016-17 | 2017-18 |
कृषि, वानिकी मत्स्य | 7.5 | 4.1 |
खनन | 12.1 | (-)0.1 |
मैन्यूफैक्चरिंग | 8.1 | 8.1 |
बिजली, गैस, जलापूर्ति व अन्य सेवाएं | 9.5 | 6.1 |
कंस्ट्रक्शन | 2.8 | 6.8 |
व्यापार, होटल, परिवहन, संचार व प्रसारण सेवाएं | 7.5 | 9 |
वित्तीय, रियल एस्टेट, पेशेवर सेवाएं | 2.8 | 6.7 |
लोक प्रशासन, रक्षा व अन्य सेवाएं | 10.6 | 7.2 |
Posted By: Satyendra Kumar Singh