-पाकिस्तान मिसाइल टेक्नोलॉजी में नहीं टिक पाता भारत के सामने

देहरादून,

मिसाइल टेक्नोलॉजी में भारत का कोई सानी नहीं, इस टेक्नोलॉजी में भारत आत्मनिर्भर है। रही बात पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की तो वह मिसाइल टेक्नोलॉजी में भारत के सामने नहीं टिकता, वह दूसरे देशों पर निर्भर है। डीआरडीओ के पूर्व डीजी रहे एनआईटी कुरुक्षेत्र के डायरेक्टर डा। सतीश कुमार ने यह बात कही। सैटरडे को वे इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टिब्लिशमेंट (आईआरडीई) की ओर से आयोजित 'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ऑप्टिक्स एंड इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स आईकोल' में शरीक हुए।

ऑप्टिक्स व फोटोनिक्स बन रहा व‌र्ल्ड वाइड बिजनेस

डा। सतीश कुमार ने कहा है कि भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी डिजाइन में आत्मनिर्भर है। कहा, गत 8-10 वर्षो के दौरान देश में ऐसी टेक्नोलॉजी में ग्रोथ हुई है। भारत को अब दूसरे देशों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। कहा, आईआरडीई ने इन वर्षो में काफी इनीशिएटिव लिए हैं। इस टेक्नोलॉजी से तैयार डिटेक्टिव व रेंज फाइंडर सबसे आगे हैं। डा। सतीश ने कहा कि ऑप्टिक्स व फोटोनिक्स टेक्नोलॉजी आज व‌र्ल्ड वाइड बिजनेस बन चुका है। जिसकी जरूरत न केवल डिफेंस में, बल्कि मेडिकल, बायोमेडिकल के अलावा इंडस्ट्रीज में भी हो रही है। उन्होंने एकेडमिक इंस्टीट्यूशंस में इस टेक्नोलॉजी की क्लासेज संचालित करने की भी बात कही।

इंजीनियरिंग में पढ़ाया जाया इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स

एनआईटी कुरुक्षेत्र के डायेक्टर डा। कुमार ने कहा कि यकीनन ऑप्टिक्स व इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स में फैकल्टीज की कमी है। लेकिन, कोर्सेज शुरू किए जाएंगे तो फैकल्टी भी मैनेज कर ली जाएगी। कहा कि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स टेक्नोलॉजी को पढ़ाया जाना चाहिए, साथ ही फोटोनिक्स को भी इंजीनियरिंग कोर्सेज में शामिल किया जाना चाहिए।

डॉ। सतीश का आउटस्टेंडिंग कंट्रीब्यूशन

डॉ। सतीश कुमार ने वर्ष 2016 में एनआईटी कुरुक्षेत्र के डायरेक्टर का पदभार संभाला। इसी वर्ष उन्हें पद्मश्री सम्मान भी मिला। इससे पहले वे डीआरडीओ में डीजी (मिसाइल एंड स्ट्रेटिजिक सिस्टम) के पद पर रहे। वे एयरोस्पेस फील्ड के फेमस साइंटिस्ट्स में शुमार हैं। पंजाब से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर से मास्टर डिग्री ली और फिर मैकेनिकल इंजीनियरिंग में आरईसी वारंगल से डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल की। पृथ्वी मिसाइल के निर्माण में उनका अहम योगदान रहा। टर्मिनल बैलेस्टिक रिसर्च लैबोरेट्री चंढ़ीगढ़ में भी वे डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत रहे। आउटस्टेंडिंग कंट्रीब्यूशन के लिए उन्हें डिफेंस मिनिस्ट्री, प्राइम मिनिस्टर स्पेशल जैसे अवॉर्ड मिले हैं। वे एयरोनॉटिकल सोसाइटी के फैलो व लाइफटाइम मेंबर भी हैं और 40 रिसर्च पेपर पब्लिश होने के साथ ही उनके 2 पेटेंट भी हैं।

Posted By: Inextlive